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हस्तमैथुन की कोई दवा नहीं होती

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आज के युवाओं की सामान्य समस्या है हस्तमैथुन की आदत और इसके दुष्परिणामों से उत्पन्न होने वाली स्थितियां। इस प्रकार की स्थिति से ग्रस्त युवकों की मानसिक और शारीरिक स्थिति भी अलग होती है। 


 
किशोर आयु में बुरी संगति के कारण ही बच्चे हस्तमैथुन से परिचित हो सकते हैं, बाद में उन्हें इसका चस्का लग जाता है और वे आदत से मजबूर होकर इस प्रकार के कुकृत्य करते रहते हैं।
 
कुछ विवाहित युवक भी पत्नी वियोग में हस्तमैथुन करते हैं। जिन्हें हस्तमैथुन का चस्का लग जाता है, वे पत्नी के साथ संभोग के बजाय हस्तमैथुन द्वारा वीर्यपात करने में सुख अनुभव करते हैं। कुछ समय बाद इस कुकृत्य का प्रभाव उनके शरीर पर, स्वभाव पर व व्यक्तित्व पर पड़ने लगता है और वे दुःखी, परेशान होते हैं। इसके बाद की स्थिति में वे शरम के मारे किसी से कुछ नहीं कहते और चुपचाप नीम हकीमों के पास जाते हैं और पैसा लुटाते हैं, भले ही फायदा हो या न हो।
 
* हस्तमैथुन की कोई दवा नहीं होती, इसकी दवा आपका संकल्प है।

आपको अपने मन में संकल्प करना होगा कि आप अपनी इस आदत पर काबू पाएंगे।

ऐसी कोई दवा नहीं जो आपके मन व हाथ को रोक ले कि आप हस्तमैथुन न कर पाएं।

खासकर एकांत में अपने मन पर नियंत्रण रखें, कामुक विचारों से बचें व ज्ञानार्जन से संबंधित या सृजनात्मक कार्यों में अपने को व्यस्त कर लें।

सेक्स के प्रति समारात्मक सोच रखें।

जितना सेक्स आपके लिए रहस्य और गोपनीय रहेगा आप उतना ही इस बीमारी के शिकार होंगे।

हर चीज को पवित्र मन से समझने और जानने की कोशिश करें।

अपने शरीर के विज्ञान को समझने के लिए पुस्तकें पढ़ें।

भ्रम और भ्रांति से दूर रहें। 
 

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