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Shani Jayanti 2024: शनि जयंती कब है, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त

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WD Feature Desk

, बुधवार, 29 मई 2024 (19:00 IST)
Shani Jayanti 2024 : पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को शनि जयंती मनाई जाती है। इसी दिन शनिदेव का जन्म हुआ था। इस दिन शनिदेव का पूजन-अर्चन किया जाता है। इस बार शनि जयंती 06 जून 2024 गुरुवार को रहेगी। आओ जानते हैं पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व।
शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए कुछ अलग नहीं करना होता है, इनकी पूजा भी अन्य देवी-देवताओं की तरह ही की जाती है। शनि जिन्हें कर्म फलदाता, दंडाधिकारी और न्यायप्रिय माना जाता है। जो अपनी दृष्टि से राजा को रंक और रंक को राजा बना सकते हैं। शनि जयंती के दिन उपवास रखा जाता है। इस दिन पीपल और शमी के पेड़ की पूजा करना चाहिए। खास तौर पर इस दिन शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या और शनि दोष से पीड़ित व्यक्तियों के लिए यह दिन बहुत अधिक महत्व का माना जाता है।
 
अमावस्या तिथि प्रारम्भ- 05 जून 2024 को 07:54 PM
अमावस्या तिथि समाप्त- 06 जून 2024 को 06:07 PM
ब्रह्म मुहूर्त: प्रात: 04:02 से 04:42 तक
प्रातः सन्ध्या: प्रात: 04:22 से 05:23 तक
अभिजित मुहूर्त: सुबह 11:52 से 12:48 तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 02:39 से 03:35 तक
गोधूलि मुहूर्त: शाम 07:16 से 07:36 तक
सायाह्न सन्ध्या: शाम 07:17 से 08:18 तक
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काम की बातें- Kaam ki Baten
 
1. शुद्ध स्नान करके पुरुष पूजा कर सकते हैं।
 
2. महिला शनि मंदिर के चबूतरे पर नहीं जाएं।
 
3. अगर आपकी राशि में शनि आ रहा है तो शनि पूजा कर सकते हैं।
 
4. अगर आप साढ़ेसाती से ग्रस्त हो तो शनि पूजा कर सकते हैं।
5. यदि आपकी राशि का अढैया चल रहा हो शनि पूजा कर सकते हैं।
 
6. यदि आप शनि दृष्टि से त्रस्त एवं पीड़ित हो तो शनि पूजा कर सकते हैं।
 
7. यदि आप कारखाना, लोहे से संबद्ध उद्योग, ट्रेवल, ट्रक, ट्रांसपोर्ट, तेल, पे‍ट्रोलियम, मेडिकल, प्रेस, कोर्ट-कचहरी से संबंधित हो शनि पूजा कर सकते हैं।
 
8. यदि आप कोई भी अच्‍छा कार्य करते हो तो शनि पूजा कर सकते हैं।
 
9. यदि आपका पेशा वाणिज्य, कारोबार में क्षति, घाटा, परेशानियां आ रही हों तो शनि पूजा कर सकते हैं।
 
10. अगर आप असाध्य रोग कैंसर, एड्स, कुष्ठरोग, किडनी, लकवा, साइटिका, हृदयरोग, मधुमेह, खाज-खुजली जैसे त्वचा रोग से त्रस्त तथा पीड़ित हो तो आप श्री शनिदेव का पूजन-अभिषेक अवश्य कीजिए।
 
11. जिस भक्त के घर में प्रसूति सूतक या रजोदर्शन हो, वह दर्शन नहीं करता।
 
12. सिर से टोपी निकाल कर ही दर्शन करें।

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