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शनि प्रदोष : व्रत कथा, नियम, आरती, मंत्र, पूजा विधि, महत्व, शुभ मुहूर्त और पारण का समय

हमें फॉलो करें शनि प्रदोष : व्रत कथा, नियम, आरती, मंत्र, पूजा विधि, महत्व, शुभ मुहूर्त और पारण का समय
Shani n Shiva Worship
 
शनिवार के दिन आने वाली प्रदोष (त्रयोदशी) तिथि पर शनि प्रदोष व्रत किया जाता है। इस दिन भगवान शिवजी और शनिदेव का पूजन-अर्चन किया जाता है। इस वर्ष 8 मई 2021 को शनि प्रदोष व्रत प्रीति योग में रखा जाएगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, प्रीति योग को शुभ योगों में गिना जाता है। इस दौरान शुभ व मांगलिक कार्य करना शुभ होता है। इस योग में किए गए कार्य से मान सम्मान मिलता है तथा यह योग मेल-मिलाप, प्रेम विवाह, झगड़े निपटाने वाला तथा रूठे हुए सगे-संबंधियों को मनाने से सफलता मिलती है।

पढ़ें शनि प्रदोष के संबंध में वर्णित पौराणिक कथा, नियम, आरती, मंत्र, पूजा विधि, महत्व, शुभ मुहूर्त और पारण का समय- 
 
इसकी कथा के अनुसार प्राचीन काल में एक नगर सेठ थे। सेठजी के घर में हर प्रकार की सुख-सुविधाएं थीं लेकिन संतान नहीं होने के कारण सेठ और सेठानी हमेशा दुःखी रहते थे। काफी सोच-विचार करके सेठजी ने अपना काम नौकरों को सौंप दिया और खुद सेठानी के साथ तीर्थयात्रा पर निकल पड़े। 
 
अपने नगर से बाहर निकलने पर उन्हें एक साधु मिले, जो ध्यानमग्न बैठे थे। सेठजी ने सोचा, क्यों न साधु से आशीर्वाद लेकर आगे की यात्रा की जाए। सेठ और सेठानी साधु के निकट बैठ गए। साधु ने जब आंखें खोलीं तो उन्हें ज्ञात हुआ कि सेठ और सेठानी काफी समय से आशीर्वाद की प्रतीक्षा में बैठे हैं। 
 
साधु ने सेठ और सेठानी से कहा कि मैं तुम्हारा दुःख जानता हूं। तुम शनि प्रदोष व्रत करो, इससे तुम्हें संतान सुख प्राप्त होगा। साधु ने सेठ-सेठानी प्रदोष व्रत की विधि भी बताई और शंकर भगवान की निम्न वंदना बताई। 
 
हे रुद्रदेव शिव नमस्कार।
शिवशंकर जगगुरु नमस्कार।।  
हे नीलकंठ सुर नमस्कार। 
शशि मौलि चन्द्र सुख नमस्कार।।
हे उमाकांत सुधि नमस्कार।
उग्रत्व रूप मन नमस्कार।।
ईशान ईश प्रभु नमस्कार।
विश्‍वेश्वर प्रभु शिव नमस्कार।। 
 
दोनों साधु से आशीर्वाद लेकर तीर्थयात्रा के लिए आगे चल पड़े। तीर्थयात्रा से लौटने के बाद सेठ और सेठानी ने मिलकर शनि प्रदोष व्रत किया जिसके प्रभाव से उनके घर एक सुंदर पुत्र का जन्म हुआ और खुशियों से उनका जीवन भर गया। 
 
शनि प्रदोष पूजन विधि, शुभ मुहूर्त एवं मंत्र
 
8 मई 2021 को शनि प्रदोष व्रत है। यह दिन भगवान शिव और शनि पूजा का विशेष दिन माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि शिवजी की पूजा शनि की पीड़ा से मुक्ति दिलाने वाली होती है।
 
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि की शांति एवं शिवजी को प्रसन्न करने के लिए शनि प्रदोष के दिन का अधिक महत्व है। आप भी शनि प्रदोष व्रत करना चाहते हैं तो आपको इस विधिपूर्वक एकमग्न होकर शिवजी का पूजन करना चाहिए।
 
शनि प्रदोष पूजन की सरल विधि :-
 
1. शनि प्रदोष व्रत के दिन उपवास करने वाले को प्रात: जल्दी उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त होकर स्नान करके स्वच्छ धुले हुए वस्त्र धारण करके शिवजी का पूजन करना चाहिए। इसके साथ ही इस दिन शनि पूजन का भी अधिक महत्व होने के कारण किसी भी शनि मंदिर में जाकर शनि पूजन करके उन्हें प्रसन्न करें।
 
2. इस दिन पूरे मन से 'ॐ नम: शिवाय' मंत्र का जप करना चाहिए।
 
 
3. प्रदोष व्रत की पूजा शाम 4.30 से शाम 7.00 बजे के बीच की जाती है। अत: त्रयोदशी के दिन प्रदोष काल में यानी सूर्यास्त से 3 घड़ी पूर्व शिवजी का पूजन करना चाहिए।
 
4. उपवास करने वाले को चाहिए कि शाम को दुबारा स्नान कर स्वच्छ सफेद रंग वस्त्र धारण करके पूजा स्थल को साफ एवं शुद्ध कर लें।
5. पांच रंगों से रंगोली बनाकर मंडप तैयार कर तथा पूजन की सामग्री एकत्रित करके लोटे में शुद्ध जल भरकर, कुश के आसन पर बैठें तथा विधि-विधान से शिवजी की पूजा-अर्चना करें। 'ॐ नम: शिवाय' मंत्र का जप करते हुए जल अर्पित करें। इस दिन निराहार रहें।
 
6. इसके बाद दोनों हाथ जो‌ड़कर शिवजी का इस तरह ध्यान करें- हे त्रिनेत्रधारी, मस्तक पर चंद्रमा का आभूषण धारण करने वाले, करोड़ों चंद्रमा के समान कांतिवान, पिंगलवर्ण के जटाजूटधारी, नीले कंठ तथा अनेक रुद्राक्ष मालाओं से सुशोभित, त्रिशूलधारी, नागों के कुंडल पहने, व्याघ्र चर्म धारण किए हुए, वरदहस्त, रत्नजड़ित सिंहासन पर विराजमान शिवजी हमारे सारे कष्टों को दूर करके सुख-समृद्धि का आशीष दें। इस तरह शिवजी के स्वरूप का ध्यान करके मन ही मन प्रार्थना करें।
 
7. तत्पश्चात शनि प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें और सुनाएं।
 
8. कथा पढ़ने या सुनने के बाद समस्त हवन सामग्री मिला लें तथा 21 अथवा 108 बार निम्न मंत्र से आहुति दें।
 
मंत्र- 'ॐ ह्रीं क्लीं नम: शिवाय स्वाहा'।
 
9. उसके बाद शिवजी की आरती करके बांटें। उसके बाद भोजन करें।
 
10. ध्यान रहें कि भोजन में केवल मीठी चीजों का ही उपयोग करें। अगर घर पर यह पूजन संभव न हो तो व्रतधारी शिवजी के मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना करके इस दिन का लाभ ले सकते हैं।
प्रदोष व्रत के मंत्र-
 
* शिवजी का मूल मंत्र- ॐ नम: शिवाय।
 
* रूद्र गायत्री मंत्र- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्।
 
* महामृत्युंजय मंत्र- ॐ त्र्यम्‍बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्‍धनान् मृत्‍योर्मुक्षीय मामृतात्॥
 
शनि प्रदोष पूजन के शुभ मुहूर्त
 
शनि प्रदोष व्रत पूजन हमेशा ही सूर्यास्त के बाद यानी प्रदोष काल में भगवान शिव की आराधना करने का विधान है। त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 08 मई 2021 शाम 05.20 मिनट से होगा तथा त्रयोदशी तिथि 09 मई 2021 को शाम 07.30 मिनट पर समाप्त होगी। शनि प्रदोष व्रत पूजा का शुभ समय- 08 मई को शाम 07.00 बजे से रात 09.07 मिनट तक रहेगा। अत: इस समयावधि में पूजन करना अतिउत्तम रहेगा तथा हर मनोकामना पूर्ण होगी।


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