Sharad purnima kab hai: आश्विन माह की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा और कोजागरी पूर्णिमा कहते हैं। शरद पूर्णिमा के दिन खीर खाने या दूध पीने का खास महत्व रहता है। इस दिन खीर या दूध को पूर्णिमा के चांद के नीचे कुछ देर रखने के बाद उसे खाते हैं। इससे सेहत संबंधि कई लाभ मिलते हैं। इस दिन आसमान में नीला चांद दिखाई देता है और इसका प्रकाश सबसे तेज होता है। आओ जानते हैं कि कब है शरद पूर्णिमा 16 या 17 अक्टूबर 2024 को और क्या है खीर खाने का महत्व।
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शरद पूर्णिमा पूजा के शुभ मुहूर्त: 16 अक्टूबर 2024 बुधवार
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चंद्रोदय: दिल्ली में शाम 05 बजकर 05 मिनट पर चांद का उदय होगा।
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पूजा का शुभ मुहूर्त: 16 अक्टूबर 2024 बुधवार के दिन शाम 05:56 से 07:12 के बीच।
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निशिथ काल : मध्यरात्रि 11:42 से 12:32 के बीच।
शरद पूर्णिमा पर खीर रखने का समय:- आपके शहर में चांद निकलने के बाद रखें खीर। जब चांद पूरा नजर आए और चारों ओर अंधेरा हो तब रखें खीर। अनुमानित समय रात्रि 7 बजे से 8 बजे के बीच रखें खीर। आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं और शरद पूर्णिमा इस बार 16 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखने की परंपरा है।
शरद पूर्णिमा पर खीर खाने का महत्व क्या है?
इस दिन चंद्रमा के प्रकाश में रखी हुई खीर खाने की परंपरा है। इस दिन चन्द्रमा न केवल सभी सोलह कलाओं के साथ चमकता है, बल्कि शरद पूर्णिमा के चन्द्रमा की किरणों में उपचार के कुछ गुण भी होते हैं जो शरीर और आत्मा को सकारात्मक उर्जा प्रदान करते हैं।ALSO READ: Karwa Chauth Vrat: करवा चौथ का त्योहार कब और कहां से शुरू हुआ?
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मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चांद से अमृत की वर्षा होती है। इसलिए इस दिन दूध से बनी खीर को खुले आसमान या घर की छत पर रखा जाता है। ऐसा करने से शरद पूर्णिमा (sharad purnima 2024) की चांदनी में खीर औषधीय गुणों से भर जाती हैं। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा का चांद ज्यादा करीब होता है और इस चंद्रमा में पृथ्वी पर कुछ ऐसी किरणें आती हैं जो सभी रोगों को दूर करने में असरदार होती हैं। इसलिए इस दिन लोग दूध की खीर बनाकर रात भर चांद की रोशनी में रखते हैं। इसका सुबह सेवन करने से सभी तरह की बीमारियों से राहत मिलती है।
वैज्ञानिक तथ्यों के अनुसार दूध में प्रचुर मात्रा में लैक्टिक एसिड पाया जाता है। दूध की खीर जब चांदनी रात में रखी जाती है तब यह अधिक मात्रा में चंद्रमा की किरणों को अवशोषित करती है। चंद्रमा के प्रकाश में कई तत्व होते हैं जो खीर को तत्वों से समृद्ध कर देते हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि चावल से बनी खीर को चांदी के बर्तन में चांदनी रात में रखने पर यह पोषक तत्वों से समृद्ध हो जाती है। चांदी में रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है जिसे खाने से इम्यूनिटी बढ़ती है।
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अगर आपके पास चांदी का बर्तन नहीं है तो आप साधारण स्टील के बर्तन में भी खीर रख सकते हैं। अगर किसी भी व्यक्ति को चर्म रोग हो तो वो इस दिन खुले आसमान में रखी हुई खीर खाएं। साथ ही इस दिन कम से कम कपड़े पहनकर चांद की रौशनी में बैठने से स्किन से जुडी समस्या खत्म हो जाती है। इस दिन चांद की रोशनी में मिश्री भी राखी जाती है। चांद की रोशनी सोखने वाली मिसरी पित्त से जुड़े रोगों के लिए औषधि का काम करती है। यूरिनरी ट्रैक इंफेक्शन होने पर औषधीय मिश्री और धनिया मिलाकर खाने से आराम मिलेगा।