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सेंसेक्स होगा 25000 के पार

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नई दिल्ली (वार्ता) , रविवार, 9 दिसंबर 2007 (14:46 IST)
आर्थिक मोर्चे पर मंदी और उद्योगों का कारोबारी विश्वास पिछले पाँच साल के निचले पायदान तक गिरने के बावजूद शेयर बाजार की तेजी को लेकर उम्मीदें कायम हैं। कारोबारियों का विश्वास है कि दो साल में सेंसेक्स 25,000 के आँकड़े को लांघ जाएगा।

फिक्की के ताजा सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि जीडीपी वृद्धि दर मंद पड़ने और उद्योगों का भरोसा हिलने के बावजूद शेयर बाजार में तेजी का रुख बना रहेगा।

शेयर ब्रोकरों, कंपनियों के मुख्य वित्तीय अधिकारियों, वित्त प्रबंधकों, म्युचवल फंड प्रबंधकों, निवेश प्रबंधन से जुड़े पेशेवरों और संपत्ति प्रबंधन कंपनियों के प्रमुखों में से ज्यादातर की यही राय है।

पूँजी बाजार से जुड़े इन विशेषज्ञों में से 58 प्रतिशत का मानना है कि अगले एक साल में मुंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स 20,000 से लेकर 23,000 के बीच होगा।

इसके अलावा और 23 प्रतिशत का तो यहाँ तक मानना है कि यह 23000 के भी पार होगा जबकि 55 प्रतिशत मानते हैं कि अगले दो साल के अंत में सेंसेक्स 25000 के स्तर पर या फिर इससे भी आगे पहुँच चुका होगा लेकिन 26 प्रतिशत मानते हैं कि यह 23000 से 25000 के बीच होगा।

फिक्की सर्वे में कहा गया है कि डॉलर के मुकाबले रुपए की मजबूती, पीएन घटनाक्रम, अमेर‍िका के फैडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम लगातार बढ़ने और अमेर‍िका का रीटल स्टेट कारोबार से जुड़ा सबप्राइम संकट ये कुछ ऐसे मुद्दे रहे हैं जिनसे शेयर बाजार को झटका लगता रहा है। लेकिन बावजूद इसके भारतीय शेयर बाजार लगातार मजबूती की तरफ बढता रहा है।

सर्वेक्षण में कहा गया है कि बैंकिंग और इंजीनियरिंग क्षेत्र आने वाले दिनों में शेयर बाजार में कारोबारियों की पसंद बने रहेंगे जबकि दूसरी तरफ सूचना प्रौद्योगिकी, फार्मा और ऑटो क्षेत्र के शेयरों का प्रदर्शन उनकी क्षमता से हल्का रहने की आशंका जताई गई है।

शेयर कारोबार से जुडे तमाम पेशेवर मानते हैं कि बैंक से कर्ज अब महँगा हो चला है। ईसीबी लेना भी आसान नहीं रहा इसलिए अब केवल पूँजी बाजार ही धन उगाही का एकमात्र बेहतर विकल्प बचा हुआ है। इसलिए ज्यादा से ज्यादा कंपनियाँ पूँजी बाजार के रास्ते ही धन जुटाएँगी। इससे शेयर बाजार के प्रति आकर्षण बना रहने की उम्मीद है।

सर्वेक्षण में आधे से ज्यादा लोगों का यह भी मानना है कि भारतीय पूँजी बाजार में कंपनियों के शेयर सही स्तर पर हैं जबकि 47 प्रतिशत के मुताबिक शेयरों के दाम उच्चस्तर पर चल रहे हैं।

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