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येन कैरी ट्रेड का भी प्रभाव है बाजार पर

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, रविवार, 26 अगस्त 2007 (17:45 IST)
-हिमांशु कंसल

वैश्विक शेयर बाजारों में असामान्य उतार-चढ़ाव हो रहे हैं। इसके कई कारण गिनाए जा रहे हैं इसमें येन कैरी ट्रेड प्रमुख है।

येन कैरी ट्रेड
कैरी ट्रेड का अर्थ है ऐसी मुद्रा में उधार लेना, जिसमें लागत (ब्याज दर) बहुत कम हो तथा उससे किसी अन्य मुद्रा में अधिक आय अर्जित करना। सर्वविदित है कि जापानी करेन्सी येन है। जब कर्ज येन में लिया जाता है और उसका उपयोग दूसरी विदेशी मुद्राओं (डॉलर, यूरो आदि) में शेयर, कमोडिटी, प्रापर्टी एवं ट्रेजरी बिल्स से रिटर्न कमाने में लगाया जाता है तो उसे 'येन कैरी ट्रेड' कहते हैं। 'येन कैरी ट्रेड' का आकार बहुत बड़ा है तथा इसमें ट्रेडर्स, आर्बिट्रेजर्स, बैंक, वित्तीय संस्थान, हेज फंड्स (फाइनेंशियल मार्केट पार्टीसिपेन्ट्स) सम्मिलित हैं।

जापानी अर्थव्यवस्था में वर्ष 1998 से 2005 में मंदी का माहौल बना रहा। इस समस्या से निदान पाने के लिए जापानी सेंट्रल बैंक ने ब्याज दरें घटा दीं। यहाँ तक की ब्याज दरें शून्य कर दी गईं, ताकि व्यवसाय को गति मिल सके।

ब्याज रहित उधार के प्रलोभन से बहुत कम लोग बच पाते हैं। फाइनेंशियल मार्केट पार्टीसिपेन्ट्स की नजर जब शून्य ब्याज दरों पर पड़ी तो उन्हें धन कमाने का अवसर दिखाई देने लगा। कार्यप्रणाली बेहद सरल थी- येन में उधार लिया जाए और उसे यूएस डॉलर में बदलकर उससे अमेरिकी सरकार द्वारा जारी ट्रेजरी बिल्स खरीद लिए जाएँ। ट्रेजरी बिल्स से सालाना 4 प्रतिशत रिस्क फ्री ब्याज सुनिश्चित होने की वजह से यह सौदा अत्यंत लाभकारी सिद्ध होने लगा।

जो पार्टीसिपेन्ट्स अधिक जोखिम लेना चाहते थे, उन्होंने यह धनराशि शेयर, कमोडिटी तथा प्रापर्टी में लगाई। इस प्रकार येन कैरी ट्रेड को बढ़ावा मिला और तकरीबन हर वित्तीय बाजार को इसने प्रभावित किया। विश्लेषकों का मानना है कि येन कैरी ट्रेड की 90 प्रतिशत धनराशि अमेरिकी बाजारों में गई है।

येन कैरी ट्रेड अन्वाइंडिं
वर्ष 2006 के शुरुआत में जापानी जीडीपी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई तथा समीक्षक 5 प्रतिशत से ज्यादा जीडीपी का अनुमान लगाने लगे। ऐसी परिस्थिति बनती देख जापानी सेंट्रल बैंक ने शीघ्र निर्णय लिया और ब्याज दरें शून्य से बढ़ाकर 0.5 प्रतिशत कर दी। फाइनेंशियल मार्केट पार्टीसिपेन्ट्स के लिए यह हल्का झटका था, क्योंकि जापानी ब्याज दरें बढ़ने से येन कैरी ट्रेड में उनका प्रॉफिट मार्जिन घटने लगा। मार्जिन घटता देख उन्होंने उधार लौटाने का मन बनाया।

यूएस ट्रेजरी बिल्स तथा अन्य संपत्तियाँ बेचने पर जो डॉलर मिले, उसे येन में बदला और कर्ज चुका दिया। इस प्रक्रिया को येन कैरी ट्रेड अन्वाइंडिंग कहा जाता है। निवेशकों को मई 2006 में शेयर तथा कमोडिटी बाजारों में आई भारी गिरावट अब भी याद है, जिसका ट्रिगर जापानी सेंट्रल बैंक द्वारा ब्याज दरें बढ़ाना था। गौरतलब है कि भारतीय शेयर बाजार भी इस तगड़ी मंदी से अछूते नहीं रहे थे।

मई 2006 के ग्लोबल क्रेश के पश्चात शेयर बाजारों में धीरे-धीरे रौनक लौटी तथा कई शेयर बाजार नई ऊँचाइयों पर ट्रेड होने लगे। विशेषज्ञों का मत है कि मई 2006 में कुल येन कैरी ट्रेड का छोटा-सा हिस्सा ही अन्वाइंड हुआ, क्योंकि जापानी ब्याज दरें बढ़ने के बावजूद 3.5 प्रतिशत का नेट गेन बाजार में विद्यमान था।

येन में मजबूत
जापानी अर्थव्यवस्था में आए सुधार तथा तेजी से छलाँग लगाते जापानी निर्यात का असर येन पर पड़ा और जून 2007 में यूएस डॉलर के मुकाबले 123 के निचले स्तर से मजबूत होकर येन अगस्त 2007 के दूसरे सप्ताह में 112 के स्तर पर ट्रेड हुआ यानी 9 प्रतिशत की तेजी मात्र दो महीनों में। येन में आए इस अप्रत्याशित उछाल से येन कैरी ट्रेड से फायदा उठाने वाले मार्केट पार्टीसिपेन्ट्स के होश उड़ गए। एक ओर वे 3.5 प्रतिशत के मुनाफे की उम्मीद लगाए बैठे थे और दूसरी तरफ येन की मजबूती से 9 प्रतिशत का घाटा सामने दिखने लगा और नेट में स्थिति 5.5 प्रतिशत नुकसान की निर्मित हो गई।

इस महीने वैश्विक शेयर बाजारों के गिरने का यह एक महत्वपूर्ण कारण रहा। समीक्षकों का कहना है कि अगर यह स्थिति कुछ समय और चली तो येन कैरी ट्रेड अन्वाइंडिंग प्रक्रिया जोर पकड़ सकती है तथा शेयर बाजारों में आकस्मिक बिकवाली देखने को मिल सकती है। इसलिए निवेशकों को सावधान रहना चाहिए।

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