* मां शीतला स्वच्छता की अधिष्ठात्री देवी हैं।
* सभी शीतल वस्तुओं पर इनका आधिपत्य है।
* मां शीतला को पथवारी भी कहते हैं।
* देवी मां रास्ते में भक्तों को सुरक्षित रख पथभ्रष्ट होने से बचाती हैं।
* गलत मार्ग पर जाने से पहले अदृश्य रूप से चेतावनी देती हैं।
* बसौड़ा वाले दिन सुबह ठंडे पानी से नहाना चाहिए।
* जिन माताओं के बच्चे अभी माता का दूध पीते हो उन्हें बसौड़ा के दिन नहाना नहीं चाहिए।
* मां शीतला को समर्पित बसौड़ा पर्व को शीतला सप्तमी कहा जाता है, मतातंर से कुछ लोग इसे अष्टमी के दिन बनाते हैं।
* रोगों को दूर करने वाली मां शीतला का वास वट वृक्ष में माना जाता है, अतः इस दिन वट पूजन भी किया जाता है।
* इस दिन घर में चूल्हा नहीं जलता है और न ही घर में ताजा भोजन बनाया जाता है।
* एक दिन पूर्व भोजन बनाकर रख दिया जाता है और अगले दिन शीतला पूजन के उपरांत सभी बासी भोजन ग्रहण करते हैं। यह ऐसा व्रत है जिसमें बासी भोजन चढ़ाया व ग्रहण किया जाता है।
* गुड़गांव में मां शीतला का मंदिर है। महाभारत काल में गुरु द्रोणाचार्य यहीं पर कौरव और पांडवों को अस्त्र-शस्त्र विद्या का ज्ञान दिया करते थे।
* इस दिन विशेष ध्यान रखा जाता है कि परिवार का कोई भी सदस्य गलती से भी गरम भोजन न ग्रहण करें।
* मां शीतला यश देती हैं, गलत राह पर जाने से रोकती हैं।
* इस व्रत से संकटों से मुक्ति मिलती है, यश-कीर्ति-मान-सम्मान में वृद्धि होती है।