Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

महादेव की आराधना देते हैं सभी फल

- डॉ. रामकृष्ण डी. तिवारी

हमें फॉलो करें महादेव की आराधना देते हैं सभी फल
ND
सृष्टि से तमोगुण तक के संहारक सदाशिव की आराधना से लौकिक व पारलौकिक दोनों फलों की उपलब्धता संभव है। तमोगुण की अधिकता दिन की तुलना में रात्रि में अधिक होने से भगवान शिव ने अपने लिंग के प्रादुर्भाव के लिए मध्यरात्रि को स्वीकार किया। यह रात्रि फाल्गुन कृष्ण में उनकी प्रिय तिथि चतुर्दशी में निहित है। वर्ष की तीन प्रमुख रात्रि में शिवरात्रि एक है। इस दिन व्रत करके रात्रि में पाँच बार शिवजी के दर्शन-पूजन-वंदन से व्यक्ति अपने समस्त फल को सुगमता से पा सकता है।

इस पर्व का महत्व सभी पुराणों में वर्णित है। इसमें अभिषेक अर्थात् शिवजी पर धारा लगाने से आशुतोष की कृपा सहज मिलती है। इनकी कृपा से कुछ भी असंभव नहीं है। इस दिन त्रिपुण्ड लगाकर, रुद्राक्ष धारण करके, शिवजी को बिल्व पत्र, ऋतु फल एवं पुष्प के साथ रुद्र मंत्र अथवा 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जप करना चाहिए।

webdunia
ND
'जय-जय शंकर, हर-हर शंकर' का कीर्तन करना चाहिए। इस दिन सामर्थ्य के अनुसार रात्रि जागरण अवश्य करना चाहिए। शिवालय में दर्शन करना चाहिए। कोई विशेष कामना हो तो शिवजी को रात्रि में समान अंतर काल से पाँच बार शिवार्चन व अभिषेक करना चाहिए। किसी भी प्रकार की धारा लगाते समय शिवपंचाक्षर मंत्र या किसी भी शिव मंत्र का जप करना चाहिए।

शिव और शक्ति का सम्मिलित स्वरूप हमारी संस्कृति के विभिन्न आयामों का प्रदर्शक है। हमारे अधिकांश पर्व शिव-पार्वती को समर्पित हैं। शिव औघड़दानी हैं और दूसरों पर सहज कृपा करना उनका सहज स्वभाव है। 'शिव' शब्द का अर्थ है कल्याण। शिव ही शंकर हैं। 'श' का अर्थ है कल्याण। 'कर' का अर्थ है करने वाला। शिव, अद्वैत, कल्याण- ये सारे शब्द एक ही अर्थ के बोधक हैं। शिव ही ब्रह्मा हैं, ब्रह्मा ही शिव हैं। ब्रह्मा जगत के जन्मादि के कारण हैं। श्रुति के अनुसार सृष्टि के पूर्व सत्‌ और असत्‌ नहीं थे, केवल शिव ही थे।

गरूड़, स्कंद, अग्नि, शिव तथा पद्म पुराणों में महाशिवरात्रि का वर्णन मिलता है। यद्यपि सर्वत्र एक ही प्रकार की कथा नहीं है, परंतु सभी कथाओं की रूपरेखा लगभग एक समान है। सभी जगह इस पर्व के महत्व को रेखांकित किया गया है और यह बताया गया है कि इस दिन व्रत-उपवास रखकर बेलपत्र से शिव की पूजा-अर्चना की जानी चाहिए।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi