Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

महाशिवरात्रि पर अत्यंत चमत्कारी फल देता है महामृत्युंजय मंत्र, जानिए इसके शुभ नियम

हमें फॉलो करें महाशिवरात्रि पर अत्यंत चमत्कारी फल देता है महामृत्युंजय मंत्र, जानिए इसके शुभ नियम
webdunia

पं. हेमन्त रिछारिया

यह सर्वविदित है कि महाशिवरात्रि पर शिव आराधना का विशेष महत्व होता है। शिवजी की आराधना में जितना महत्त्व अभिषेक का है उतना ही महत्व  महामृत्युंजय मंत्र का भी है। शिव जी की आराधना महामृत्युंजय मंत्र के बिना अपूर्ण है। महाशिवरात्रि पर महामृत्युंजय मंत्र के पारायण व पुरश्चरण विशेष लाभ प्राप्त होता है। आइए जानते हैं महामृत्युंजय मंत्र का पुरश्चरण कैसे किया जाता है-
 
पुरश्चरण के पांच अंग होते हैं-
 
1. जाप 2. हवन 3. तर्पण 4. मार्जन 5. ब्राह्मण भोज
 
पुरश्चरण में जप संख्या निर्धारित मंत्र की अक्षरों की संख्या पर निर्भर करती है। इसमें "ॐ" और "नम:" को नहीं गिना जाता। जप संख्या निश्चित होने के उपरान्त जप का दशांश हवन, हवन का दशांश तर्पण, तर्पण का दशांश मार्जन और मार्जन का दशांश ब्राह्मण भोज कराने से ही पुरश्चरण पूर्ण होता है।
 
-पारायण हेतु निम्न महामृत्युंजय मंत्र का यथाशक्ति जाप करें-
 
"ॐ हौं जूं स: ॐ भूर्भुव: स्व: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम्पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धानात्मृत्योर्मुक्षीयमामृतात् भूर्भुव: स्व: ॐ स: जूं हौं ॐ।"
 
- सर्वत्र रक्षा करने के लिए निम्न महामृत्युंजय मंत्र का यथाशक्ति जाप करें-
 
"ॐ जूं स: (अमुकं) पालय पालय स: जूं ॐ"
 
(यदि यजमान व अन्य किसी की रक्षा के लिए मंत्र जाप करें तो "अमुक" के स्थान पर उस व्यक्ति का नाम लें। यदि स्वयं की रक्षा के लिए मंत्र जाप कर रहे हैं तो "अमुक" के स्थान पर "मम्" कहें।)
 
-रोग से मुक्ति के लिए निम्न महामृत्युंजय मंत्र का यथाशक्ति जाप करें-
 
"ॐ जूं स: (रोग का नाम) नाशय नाशय स: जूं ॐ"
 
 
 
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र
सम्पर्क: [email protected]

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

बहुत चमत्कारिक रत्न है लाजवर्त, फायदे जानकर चौंक जाएंगे