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Mahashivratri 2020 : जब भगवान शिव ने अपनी पूंछ में लपेट लिया था नृसिंह भगवान को, जानिए रोचक कथा

हमें फॉलो करें Mahashivratri 2020 : जब भगवान शिव ने अपनी पूंछ में लपेट लिया था नृसिंह भगवान को, जानिए रोचक कथा

अनिरुद्ध जोशी

, गुरुवार, 20 फ़रवरी 2020 (11:04 IST)
शिव महापुराण में भगवान शिव के अनेक अवतारों का वर्णन मिलता है। कहीं कहीं उनके 24 तो कहीं उन्नीस अवतारों के बारे में उल्लेख मिलता है। वैसे शिव के अंशावतार भी बहुत हुए हैं। हालांकि शिव के कुछ अवतार तंत्रमार्गी है तो कुछ दक्षिणमार्गी। भगवान शिव को एक बार शरभावतार लेना पड़ा था। आओ जानते हैं उसी की संक्षिप्त कथा।
 
 
शरभावतार :- भगवान शिव का छटा अवतार है शरभावतार। शरभावतार में भगवान शंकर का स्वरूप आधा मृग तथा शेष शरभ पक्षी (पुराणों में वर्णित आठ पैरों वाला जंतु जो शेर से भी शक्तिशाली था) का था।
 
 
लिंगपुराण में शिव के शरभावतार की कथा है, उसके अनुसार हिरण्यकशिपु का वध करने के लिए भगवान विष्णु ने नृसिंहावतार लिया था। हिरण्यकशिपु के वध के पश्चात भी जब भगवान नृसिंह का क्रोध शांत नहीं हुआ तो देवता शिवजी के पास पहुंचे।
 
 
तब भगवान शिव ने अपने गण विरभद्र से कहा कि आप जाकर पहले उनकी स्तुति करें और फिर उनसे क्रोध शांत करने का विनय करें। विरभद्र ने शिव की आज्ञा का पालन किया और उन्होंने ऐसा ही किया लेकिन इससे नृसिंह भगवान का क्रोध और भड़क गया तो विरभद्र आकाश में जाकर छुप गया। तब स्वयंभ भगवान शिव ने शरभावतार लिया और वे इसी रूप में भगवान नृसिंह के पास पहुंचे गए तथा उनकी स्तुति करने लगे, लेकिन नृसिंह भगवान की क्रोधाग्नि फिर भी शांत नहीं हुई। यह देखकर शरभ रूपी भगवान शिव अपनी पूंछ में नृसिंह को लपेटकर ले उड़े। तब कहीं जाकर भगवान नृसिंह की क्रोधाग्नि शांत हुई। तब नृसिंह भगवान ने शरभावतार से क्षमा याचना कर अति विनम्र भाव से उनकी स्तुति की।

उल्लेखनीय यह क शिवमहापुराण की कथा के अनुसार इनके शरीर का आधा भाग सिंह का, तथा आधा भाग पक्षी का था। संस्कृत साहित्य के अनुसार वे दो पंख, चोंच, सहस्र भुजा, शीश पर जटा, मस्तक पर चंद्र से युक्त थे। वे शेर और हाथी से भी अधिक शक्तिशाली हैं। बाद के साहित्य में शरभ एक 8 पैर वाले हिरण के रूप में वर्णित है।
 

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