- डॉ. शोभा वैद्य
'
शिव' शब्द की व्याख्या करने हुए कहा गया है- 'शेते सर्व जगत् यस्मिन् इति शिव' अर्थात जिसमें समस्त जगत शयन कर रहा है, सो रहा है, उसको शिव कहते हैं। आशय यह है कि समस्त विश्व का आश्रय-अधिष्ठान वही शिव है बिलकुल वैसे ही जैसे मिट्टी के पात्र का आश्रय मिट्टी होती है।
वैसे शिव का अर्थ होता है कल्याण, मंगल या सुख!
शिवत्व से जुड़े वेद मंत्र की व्याख्या करते हुए कवीन्द्र रवीन्द्र कहते हैं-
मैं सुखकर को नमस्कार करता हूं, कल्याणकर को नमस्कार करता हूं। दुख का मूल कारण भी यही है कि मानव 'सुखकर' को नमस्कार करता है- 'कल्याणकर' को सदा नमस्कार नहीं करता, क्योंकि 'कल्याणकर' में भी दुख भी हो सकता है। कल्याण हेतु दुख भी उठाना पड़ सकता है। 'शिवाराधना' का अर्थ ही सुख एवं कल्याण का समन्वय होता है।