भगवान भोलेनाथ को महाशिवरात्रि के अवसर पर 5 पूजन सामग्री अवश्य चढ़ानी चाहिए। 5 विशेष सामग्री कौन सी है जानिए विस्तार से...
बिल्व पत्र : प्रभु आशुतोष के पूजन में अभिषेक व बिल्वपत्र का प्रथम स्थान है। ऋषियों ने कहा है कि बिल्वपत्र भोले-भंडारी को चढ़ाना एवं 1 करोड़ कन्याओं के कन्यादान का फल एक समान है। तीन जन्मों के पापों के संहार के लिए त्रिनेत्ररूपी भगवान शिव को तीन पत्तियोंयुक्त बिल्व पत्र, जो सत्व-रज-तम का प्रतीक है, को इस मंत्र को बोलकर अर्पित करना चाहिए-
'त्रिदलं त्रिगुणाकरं त्रिनेत्र व त्रिधायुतम्।
त्रिजन्म पाप संहारं बिल्व पत्रं शिवार्पणम्।।
यदि प्रत्येक शिवभक्त अर्थात कल्याण बेल पत्र के वृक्ष का रोपण एवं उसके पत्र का अर्पण करेंं तो देश की अनेक समस्याओं सहित पर्यावरण की समस्या से भी बहुत हद तक मुक्ति मिल सकती है।
भांग- भगवान शिव ने हलाहल विष का पान किया है इस विष के उपचार के लिए कई तरह की जड़ी बूटियों का प्रयोग देवताओं ने किया इनमें भांग भी एक है। इसलिए भगवान शिव को भंग बेहद प्रिय है। शिवरात्रि के अवसर पर भांग के पत्ते या भांग को पीसकर दूध या जल में घोलकर भगवान शिव का अभिषेक करें तो रोग दोष से मुक्ति मिलती है।
धतूरा- भांग की तरह धतूरा भी एक जड़ी बूटी है। भगवान शिव के सिर पर चढ़े विष के प्रभाव को दूर करने के लिए धतूरा का प्रयोग भी किया गया था इसलिए शिव जी को धतूरा भी प्रिय है।
महाशिवरात्रि के अवसर पर शिवलिंग पर धतूरा अर्पित करें। इससे शत्रुओं का भय दूर होता है साथ ही धन संबंधी मामलों में उन्नति होती है।
गंगाजल: गंगा भगवान विष्णु के चरणों से निकली और भगवान शिव की जटा से धरती पर उतरी है इसलिए सभी नदियों में गंगा परम पवित्र है। गंगा जल से भगवान शिव का अभिषेक करने से मानसिक शांति और सुख की प्राप्ति होती है।\
गन्ने का रस: गन्ना जीवन में मिठास और सुख का प्रतीक माना जाता है। शास्त्रों से इसे बहुत ही पवित्र माना गया है। प्रेम के देवता कामदेव का धनुष गन्ने से बना है। देवप्रबोधनी एकादशी के दिन गन्ने का घर बनाकर भगवान विष्णु की देवी तुलसी की पूजा की जाती है। गन्ने के रस से शिवलिंग का अभिषेक करने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है।