Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

रुद्राक्ष : शिव कृपा का प्रत्यक्ष फल

पाप और रोग नष्ट करते हैं रुद्राक्ष

हमें फॉलो करें rudraksh

WD Feature Desk

* शिवरात्रि पर जानिए किस रुद्राक्ष का क्या है महत्व
 
भगवान शिव ने रुद्राक्ष उत्पत्ति की कथा पार्वती जी से कही है। एक समय भगवान शिवजी ने एक हजार वर्ष तक समाधि लगाई। समाधि में से व्युत्थान होने पर जब उनका मन बाह्य जगत में आया, तब जगत के कल्याण की कामना वाले महादेव ने अपनी आंख बंद कीं। तभी उनके नेत्र से जल के बिंदु पृथ्वी पर गिरे। उन्हीं से रुद्राक्ष के वृक्ष उत्पन्न हुए और वे शिव की इच्छा से भक्तों के हित के लिए समग्र देश में फैल गए। उन वृक्षों पर जो फल लगे वे ही रुद्राक्ष हैं।
 
वे पापनाशक, पुण्यवर्धक, रोगनाशक, सिद्धिदायक तथा भोग मोक्ष देने वाले हैं। रुद्राक्ष जैसे ही भद्राक्ष भी हुए। रुद्राक्ष श्वेत, लाल, पीले तथा काले वर्ण वाले होते हैं। ब्राह्मण क्षत्रिय, वैश्य और शूद्रों को श्वेत आदि के क्रम से ही पहनने चाहिए। रुद्राक्ष फलप्रद हैं। जितने छोटे रुद्राक्ष होंगे उतने ही अधिक फलप्रद हैं। वे संताप को दूर कर शांति देने वाले हैं।
 
रुद्राक्ष की माला धारण करने से पाप और रोग नष्ट होते हैं। साथ ही सिद्धि मिलती है। भिन्न-भिन्न अंगों में भिन्न-भिन्न संख्यावाले रुद्राक्ष धारण करने से लाभ होता है। शिव पुराण में इसका विस्तृत विवेचन है। भस्म, रुद्राक्ष धारण करके 'नमः शिवाय' मंत्र का जप करने वाला मनुष्य शिव रूप हो जाता है।
 
भस्म रुद्राक्षधारी मनुष्य हो देखकर भूत प्रेत भाग जाते हैं, देवता पास में दौड़ आते हैं, उसके यहां लक्ष्मी और सरस्वती दोनों स्थायी निवास करती हैं, विष्णु आदि सब देवता प्रसन्न होते हैं। अतः सब शैव वैष्णवों को नियम से रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

रुद्राक्षों के मुखः- रुद्राक्ष गोल, चिकने, दृढ़ कांटेदार तथा एक छिद्र से दूसरी तरफ छिद्र तक सीधी बारीक रेखा वाला उत्तम गिना जाता है। जिसमें अपने आप छिद्र उत्पन्न हुआ हो वह उत्तम है। एक तरफ के छिद्र से दूसरे छिद्र तक जितनी सीधी रेखा जाती हों वह उतने ही मुख वाला माना जाता है।
 
एक रेखा वाला रुद्राक्ष एक मुखी है जो शिवरूप है। वह मुक्ति देता है।
 
दो मुखी शिव पार्वती रूप है, जो इच्छित फल देता है।
 
तीन मुखवाला रुद्राक्ष त्रिदेवरूप है जो विद्या देता है।
 
चार मुखी ब्रह्मरूप है, जो चतुर्विध फल देता है।
 
पंचमुखी रुद्राक्ष पंचमुख शिवरूप है, जो सब पापों को नष्ट करता है।
 
छः मुखी रुद्रज्ञक्ष स्वामी कार्तिक रूप है, जो शत्रुओं का नाश करता है, पापनाशक है।
 
सात मुखी कामदेवरूप है, जो धन प्रदान करता है।
 
अष्टमुखी रुद्राक्ष समस्त देवरूप है। सब देवताओं को प्रसन्न करने वाला है। समस्त इच्छाओं को पूर्ण करने वाला है।
 
नौ मुखी कपिल मुनि रूप तथा नव दुर्गारूप है, जो मनुष्य को सर्वेश्वर बनाता है।
 
दशमुखी विष्णु रूप है, जो कामना पूर्ति करता है।
 
ग्यारह मुखी एकादश रुद्ररूप है, जो विजयी बनाता है।
 
बारह मुखी द्वादश आदित्य रूप है, जो प्रकाशित करता है।
 
तेरह मुखी रुद्राक्ष विश्वरूप है, जो सौभाग्य मंगल देता हैं।
 
चौदह मुखी परमशिव रूप है, जो धारण करने से शांति देता है।
 
इस प्रकार 14 मुखी रुद्राक्ष का वर्णन मिलता है। इनको धारण करने के लिए शिव पुराण में मंत्र भी दिए गए हैं। मंत्र के द्वारा धारण करने से रुद्राक्ष इच्छित फल देते हैं।
 


Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

कैसे करें होलिका दहन