हमारे शास्त्रों में स्पष्ट निर्देश है कि जो व्यक्ति श्राद्ध में ब्राह्मण भोजन कराने में असमर्थ हों वे 'आमान्न' दान से भी श्राद्ध को सम्पन्न कर सकते हैं। 'आमान्न दान' किसी ब्राह्मण को ही किया जाना चाहिए। ग्रामीण अंचलों में इसे 'सीदा' देना भी कहा जाता है।
आमान्न दान- अन्न, घी, गुड़, नमक आदि भोजन में प्रयुक्त होने वाली वस्तुएं।
शाक-
शास्त्रानुसार यदि कोई व्यक्ति श्राद्ध में ब्राह्मण भोज एवं आमान्न दान करने में भी असमर्थ है तो वह केवल शाक खिला कर श्राद्ध की पूर्णता कर सकता है। इसके लिए 'कुतप-काल' में गाय को हरी शाक (पालक इत्यादि) खिला कर श्राद्ध को पूर्ण किया जाता है।
ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया