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सर्वपितृ अमावस्या पर ब्राह्मण, गरीब, चींटी, गाय, कुत्ते, कौए और अग्नि के लिए निकालें ग्रास

हमें फॉलो करें सर्वपितृ अमावस्या पर ब्राह्मण, गरीब, चींटी, गाय, कुत्ते, कौए और अग्नि के लिए निकालें ग्रास

अनिरुद्ध जोशी

श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान आदि कर्म करने के बाद भोजन कराए जाने की परंपरा है। आओ जानते हैं कि श्राद्ध का भोजन किनको अर्पित किया जाता है और नहीं तो ब्राह्मण, गरीब, चींटी, गाय, कुत्ते, कौए और अग्नि के लिए निकाले ग्रास।
 
 
खुद भोजन करने के पूर्व श्राद्धकर्ता यदि किसी को भोजन कराने में सक्षम नहीं हो तो ब्राह्मण, गरीब, चींटी, गाय, कुत्ते, कौए और अग्नि के लिए निकाल देना चाहिए और यदि भोजन कराने में सक्षम होतो निम्नलिखित कार्य करें।
 
पंचबलि कर्म : श्राद्ध में पंचबलि कर्म किया जाता है। अर्थात पांच जीवों को भोजन दिया जाता है। बलि का अर्थ बलि देने नहीं बल्कि भोजन कराना भी होता है। श्राद्ध में गोबलि, श्वान बलि, काकबलि, देवादिबलि और पिपलिकादि कर्म किया जाता है।
 
1. अग्नि का ग्रास : भोजन पर सबसे पहले अधिकार उस अग्नि पर होता है जिसे उसने पकाया है। जब भी रोटी बनाएं तो पहली रोटी अग्नि की, दूसरी रोटी गाय की और तीसरी रोटी कुत्ते की होती है। पहली रोटी मूल रूप से बहुत ही छोटी बनती है। अंगूठे के प्रथम पोर के आकार की। इस रोटी को अग्नि में होम कर दिया जाता है। अग्नि में होम करते वक्त इसके साथ अन्य जो भी बनाया है उसे भी होम कर दिया जाता है। पांच तरह के यज्ञों में से एक है देवयज्ञ जिसे अग्निहोत्र कर्म भी कहते हैं, यही देवबलि भी है।
 
2. गौबलि अर्थात गाय को पत्ते पर भोजन परोसा जाता है। घर से पश्चिम दिशा में गाय को महुआ या पलाश के पत्तों पर गाय को भोजन कराया जाता है तथा गाय को 'गौभ्यो नम:' कहकर प्रणाम किया जाता है।
 
3. श्वानबलि अर्थात कुत्त को पत्ते पर भोजन परोसा जाता है।
 
4. काकबलि अर्थात कौए के लिए छत या भूमि पर भोजन परोसा जाता है।
 
5. देवबलि अर्थात पत्ते पर देवी देवतों और पितरों को भोजन परोसा जाता है। बाद में इसे उठाकर घर से बाहर रख दी जाती है।
 
6. पिपलिकादि बलि अर्थात चींटी-कीड़े-मकौड़ों इत्यादि के लिए पत्ते भोजन परोसा जाता। उनके बिल हों, वहां चूरा कर भोजन डाला जाता है।
 
7. ब्राह्मण भोज : इसके बाद ब्राह्मण भोज कराया जाता है। इस दिन सभी को अच्छे से पेटभर भोजन खिलाकर दक्षिणा दी जाती है। ब्राह्मण का निर्वसनी होना जरूरी है और ब्राह्मण नहीं हो तो ब्राह्मण नहीं हो तो अपने ही रिश्तों के निर्वसनी और शाकाहार लोगों को भोजन कराएं।
 
8. गरीब भोज : श्राद्ध का भोजन ब्राह्मण भोज के अलावा किसी भूखे या गरीब को भी खिलाना चाहिए। सबसे पहले द्वार आया गरीब या मंदिर के समक्ष बैठे गरीब को यह भोजन खिलाना चाहिए।

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