श्राद्ध पक्ष में अपने पितरों की संतुष्टि हेतु तथा उनकी अनंत तृप्ति हेतु,उनका शुभाशीर्वाद प्राप्त करने हेतु प्रत्येक मनुष्य को अपने पितरों का श्राद्ध अवश्य करना चाहिए। जो लोग अपने पूर्वजों अर्थात पितरों की संपत्ति का उपभोग तो करते हैं, लेकिन उनका श्राद्ध नहीं करते, ऐसे लोग अपने ही पितरों द्वारा अभिशप्त होकर नाना प्रकार के दुखों का भाजन बनते हैं। पढ़ें 6 काम की बातें....
1. श्राद्ध में करने योग्य- अपराह्न का समय, कुशा, श्राद्धस्थली की स्वच्छता, उदारता से भोजन आदि की व्यवस्था और ब्राह्मण की उपस्थिति।
2. श्राद्ध के लिए उचित बातें- सफाई, शांत चित्त, क्रोध न करें और धैर्य से पूजन-पाठ (हड़बड़ी व जल्दबाजी नहीं)।
3. श्राद्ध के लिए उचित द्रव्य हैं- तिल, चावल, जौ, जल, मूल (जड़युक्त सब्जी) और फल।
4. 3 चीजें शुद्धिकारक हैं- पुत्री के पुत्र को भोजन, तिल और नेपाली कम्बल।
5. श्राद्ध में कदापि न करें- कुछ अन्न और खाद्य पदार्थ जो श्राद्ध में प्रयुक्त नहीं होते- मसूर, राजमा, कोदो, चना, कपित्थ, अलसी, तीसी, सन, बासी भोजन और समुद्र जल से बना नमक। भैंस, हिरणी, ऊंटनी, भेड़ और एक खुर वाले पशु का दूध भी वर्जित है, पर भैंस का घी वर्जित नहीं है।
6. श्राद्ध में दूध, दही और घी पितरों के लिए विशेष तुष्टिकारक माने जाते हैं। श्राद्ध किसी दूसरे के घर में, दूसरे की भूमि में कभी नहीं किया जाता है। जिस भूमि पर किसी का स्वामित्व न हो, सार्वजनिक हो, ऐसी भूमि पर श्राद्ध किया जा सकता है।