श्राद्ध पक्ष 17 सितंबर को समाप्त होगा। इस दौरान इस पितृ पक्ष में दान का भी बहुत महत्व है, मान्यता है कि दान से पितरों की आत्मा को संतृष्टि मिलती है, कालसर्प दोष और पितृ दोष भी समाप्त होता है। प्राचीनकाल में तो कई तरह के दान किए जाते थे जैसे गौ-दान, भूमिदान, स्वर्ण दान और चांदी दान परंतु इस कलिकाल में ये तो संभंव नहीं है। श्राद्ध पक्ष में अन्न दान तो करते ही हैं परंतु इसके अवाला भी ये 10 प्रमुख दान हैं। आओ जानते हैं कि दानों में 10 प्रमुख दान कौन-से हैं जो श्राद्ध पक्ष में किए जा सकते हैं।
'ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु अद्य यथोक्त गुण विशिष्ट तिथ्यादौ... गौत्र... नाम ममस्य पितरानां दान जन्य फल प्राप्त्यर्थं क्रियामाण भगवत्प्रीत्यर्थं गौनिष्क्रय/ भूमि निष्क्रय द्रव्य वा भवते ब्राह्मणाय सम्प्रददे।'...दानों में गौ-दान, भूमि दान, तिल दान, स्वर्ण दान, घृत दान, धान्य दान, गुड़ दान, रजत दान, लवण दान।
1. जूते-चप्पल का दान : पूर्वजों के निमित्त और उनकी आत्मा शांति हेतु जूते या चप्पलों का दन करने से पितरो प्रसन्न होते हैं। मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से घर में सुख-शांति और खुशहाली आती है। शनि और राहु दोष भी समाप्त हो जाता है।
2.वस्त्र दान : जिसे भी भोजन कराया जा रहा है उसे जूते चप्पल के अलावा वस्त्रों का दान भी करना चाहिए। वस्त्र दान में धोती, टोपी या उत्तरीय (गमछा) दिया जाता है। कहते हैं कि पितर अपने वंशजों से वस्त्र की भी कामना आदि करते हैं।
3. छाता दान : श्राद्ध-कर्म में और मनुष्य की मृत्यु के बाद एकादशाह श्राद्ध (ग्यारहवें दिन) और शय्यादान में छाता और जूता दान करने की प्रथा है। मान्यता है कि यममार्ग में पितरों की छाते से ग्रीष्म के ताप और वर्षा से रक्षा होती है। यह भी कहता जाता है कि इससे पितरों की छत्र छाया बनी रहती है।
4. काला तिल दान : काले तिलों का दान करने से से व्यक्ति को ग्रह और नक्षत्र बाधा से मुक्ति तो मिलती है ही साथ ही यह दान संकट, विपदाओं से रक्षा करता है। तर्पण करने के दौरान यह कार्य किया जाता है।
5. घी दान : गाय का घी पात्र सहित दान करने से इससे गृहकल नहीं होती और पारिवारिक जीवन खुशहाल हो जाता है।
6. गुड़ दान : इसे पितरों को विशेष संतुष्टि प्राप्त होती है। इससे घर में सुख-शांति का वातावरण बना रहता है. ऐसा करने से गृह-क्लेश भी दूर है। घर में लक्ष्मी का वास होता है।
7. धान्य दान : इसमें किसी अनाज, दाल, चावल या आटे आदि का दान किया जाता है। इससे वंश वृद्धि में किसी भी प्रकार की रुकावट नहीं होती है।
8. नमक का दान : नमक का दान करने से प्रेत बाधा और आत्माओं से मुक्ति मिलती है।
9. चांदी या स्वर्ण का दान : स्वर्ण दान करने से सूर्य एवं गुरु संबंधी बाधा के अलावा रोगों से मुक्ति मिलती हैं वहीं चांदी दान करने से चंद्र ग्रह संबंधी बाधा दूर होती है और परिवार में शांति, सुख एवं एकता बनी रहती है। स्वर्ण के आभाव में पीतल या दक्षिणा दे सकते हैं और चांदी के अभाव में कोई सफेद वस्तु दान कर सकते हैं।
10. गौ-दान : इस दान को करने से मुक्ति की प्राप्ति होती है। जातक इस दान को संकल्प से प्रतिकात्मक रूपस से भी कर सकता है।
भूमि दान : भूमि दान की जगह एक गमले में पौधा लगाकर भी दान किए जाने का आजकल प्रचलन है।
आमान्न दान : श्राद्ध में जो लोग भोजन कराने में अक्षम हों, वे आमान्न दान देते हैं। आमान्न दान अर्थात अन्न, घी, गुड़, नमक आदि भोजन में प्रयुक्त होने वाली वस्तुएं इच्छानुसार मात्रा में दी जाती हैं। श्राद्ध का भोजन 4 लोगों को खिलाया जाता है। ब्राह्मण, कुत्ते, गाय और कौए। श्राद्ध के भोजन में बेसन का प्रयोग वर्जित है। सूतक में ब्राह्मण को भोजन नहीं कराना चाहिए। केवल गाय को रोटी दें।