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Dashmi shradh 2024: पितृ पक्ष का ग्यारहवां दिन : जानिए दशमी श्राद्ध तिथि पर क्या करें, क्या न करें

16 shradh paksha 2024: श्राद्ध पक्ष की दशमी श्राद्ध तिथि

हमें फॉलो करें Dashmi shradh 2024: पितृ पक्ष का ग्यारहवां दिन : जानिए दशमी श्राद्ध तिथि पर क्या करें, क्या न करें

WD Feature Desk

, गुरुवार, 26 सितम्बर 2024 (18:38 IST)
Dasham Shradh Paksha 2024: श्राद्ध पक्ष के ग्यारहवें दिन दशमी का श्राद्ध रहेगा। 26 सितंबर 2024 गुरुवार के दिन दशमी तिथि है। जिन लोगों का देहांत इस दिन अर्थात तिथि अनुसार दोनों पक्षों (कृष्ण या शुक्ल) दशमी तिथि हो हुआ है उनका श्राद्ध इस दिन किया जाता है।  
 
दशमी तिथि प्रारंभ: 26 सितम्बर 2024 को दोपहर 12 बजकर 25 मिनट तक।
दशमी तिथि समाप्त: 27 सितम्बर 2024 को दोपहर 01 बजकर 20 मिनट तक।
 
27 सितंबर 2024 का शुभ मुहूर्त:
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:48 से 12:36 तक।
कुतुप मूहूर्त: दोपहर 11:48 से 12:36 तक।
रोहिण मुहूर्त: दोपहर 12:36 से 01:24 तक।
अपराह्न काल: अपराह्‍न 01:24 से 03:48 तक।
 
जानिए दशमी तिथि श्राद्ध की खास बातें... Dashmi shradhh ki baten
 
1. जिन लोगों का देहांत इस दिन अर्थात तिथि अनुसार दोनों पक्षों (कृष्ण या शुक्ल) दशमी तिथि हो हुआ है उनका श्राद्ध इस दिन किया जाता है।
 
2. इस दिन वेदी पर किए गए पिंडदान से भटक रहे और कष्ट भोग रहे पितरों को स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है। 
 
3. इस दिन कूप में पिंडदान करने से श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को अश्‍वमेघ यज्ञ का फल प्रदान होता है।
 
4. दशमी के श्राद्ध के दिन स्नान आदि से निवृत्त होकर भोजन तैयार कर लें और भोजन को पांच भागों में विभाजित करने के बाद पहले पंचबलि को भोग लगाएं और फिर 10 ब्राह्मणों को भोज कराएं। उन्हें यथाशक्ति दक्षिणा दें। 10 को भोज नहीं करा पा रहे हैं तो कम से कम एक ब्राह्मण को भोज कराएं। यह भी नहीं कर पा रहे हैं तो यथाशक्ति गरीबों को दान दें। आप चाहे तो सिर्फ आटा, गुड़, घी, नमक और शक्कर का दान कर सकते हैं।
 
5. सभी के भोजन कराने के बाद परिवार के सदस्यगण भोजन करें। 
 
6. इस दिन गीता के दसवें अध्याय का पाठ करें या करवाएं।
 
7. श्रद्धा पूर्वक तर्पण और पिंडदान करने से पितृ प्रसन्न होते हैं।
 
8. दक्षिण दिशा में पितरों के निमित्त 2, 5, 11 या 16 दीपक जरूर जलाएं। आप अपनी गैलरी में भी जला सकते हैं।
 
9. गुड़ घी को मिलाकर सुगंधित धूप दें, जब तक वह जले तब तक 'ॐ पितृदेवताभ्यो नम': का जप करें और इसी मंत्र से आहुति दें।
 
10. परिवार के सभी सदस्यों से बराबर मात्रा में सिक्के इकट्ठे करके उन्हें मंदिर में दान करें।

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