Pitru Shradh Paksha : श्राद्धपक्ष में पिंडदान, तर्पण या पितृपूजा करने का एक निश्चित समय नियुक्त है। उस श्रेष्ठ समय में ही पितृलोक से पितृ धरती पर आते हैं। यदि आप इस नियुक्त समय में ही श्राद्ध कर्म करेंगे तो आपको इसका पूर्ण लाभ मिलेगा। आओ जानते हैं कि पितृपक्ष में श्राद्ध करने का कौनसा समय श्रेष्ठ होता है। इस बार श्राद्ध पण 10 सितंबर से 25 सितंबर 2022 तक रहेंगे।
1. चार सबसे श्रेष्ठ समय : शास्त्रों के अनुसार कुतुप, रोहिणी, मध्याह्न और अभिजीत काल में श्राद्ध करना चाहिए। यही श्राद्ध करने का सही समय है।
2. कुतुप काल : कुतुप काल दिन के 11:30 बजे से 12:30 के मध्य का समय होता है। वैसे 'कुतुप बेला' दिन का आठवां मुहुर्त होता है। पाप का शमन करने के कारण इसे 'कुतुप' कहा गया है।
3. अभिजीत मुहूर्त : अभिजीत मुहूर्त हर दिन के हिसाब से अलग अलग होता है। किसी दिन यह नहीं भी रहता है।यह कुतुप काल के आसपास का ही मुहूर्त होता है।
4. रोहिणी काल : रोहिणी काल अर्थात रोहिणी नक्षत्र काल के दौरान श्राद्ध किया जा सकता है।
5. मध्याह्नकाल : यदि कुतुप, अभिजीत या रोहिणी काल ज्ञात न हो तो मध्याह्नकाल में श्राद्ध करना श्रेष्ठ रहता है। यानी श्राद्ध का समय तब होता है जब सूर्य की छाया पैरों पर पड़ने लगे।