Shradh Paksha: 16 श्राद्ध में चौथ यानी चतुर्थी तिथि का श्राद्ध 02 अक्टूबर 2023 को रखा जाएगा। श्राद्ध में यदि आप पितरों की शांति और मुक्ति के लिए तर्पण और पिंडदान नहीं कर पा रहे हैं तो पंजबलि कर्म जरूर करें। जिन लोगों का देहांत इस दिन अर्थात तिथि अनुसार दोनों पक्षों (कृष्ण या शुक्ल) चतुर्थी तिथि हो हुआ है उनका श्राद्ध इस दिन किया जाता है।
किन पितरों के लिए करते हैं चतुर्थ का श्राद्ध?
जिन लोगों का देहांत इस दिन अर्थात तिथि अनुसार दोनों पक्षों (कृष्ण या शुक्ल) चतुर्थी तिथि हो हुआ है उनका श्राद्ध इस दिन किया जाता है। चतुर्थी या पंचमी तिथि में उनका श्राद्ध किया जाता है जिसकी मृत्यु गतवर्ष हुई है।
पञ्चमी तिथि प्रारम्भ- 03 अक्टूबर 2023 को सुबह 06:11 से।
पञ्चमी तिथि समाप्त- 04 अक्टूबर 2023 को सुबह 05:33 तक।
03 अक्टूबर 2023 का शुभ मुहूर्त:-
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:04 से 12:52 तक।
कुतुप मूहूर्त: दोपहर 12:04 से 12:52 तक।
रोहिणी मूहूर्त: दोपहर 12:52 से 01:39 तक।
अपराह्न काल: दोपहर 01:39 से 04:03 तक।
पंचमी के श्राद्ध की 5 खास बातें-
1. चतुर्थी और पंचमी को उन लोगों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु गतवर्ष ही हुई हो।
2. श्राद्ध पक्ष की इस तिथि को कुंवारा पंचमी भी कहते हैं। यानी इस दिन ऐसे परिजनों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी अविवाहित रहते हुए ही मृत्यु हो गई हो।
3. इस दिन प्रात:काल उठकर स्नान आदि निवृत होकर पूजन के स्थान को साफ स्वच्छ करके तैयार करें। महिलाएं शुद्ध होकर पितरों के लिए भोजन बनाएं।
4. अब योग्य और अविवाहित ब्राह्मण को न्योता देकर उनसे पितरों की पूजा और तर्पण कराएं। पितरों का पूजन करने के बाद उन्हें भोग लगाएं। पितरों के निमित्त अग्नि में खीर अर्पित करें।
5. अब उक्त भोजन में से गाय, कौवा, कुत्ता, देव और पीपल के लिए भोजन अलग से निकालकर उन्हें अर्पित करें। अंत में ब्राह्मण भोज कराएं। ब्राह्मण भोज के साथ ही जमाई, भांजा, मामा और नाती को भी भोजन कराएं। सभी को यथाशक्ति दक्षिणा दें।