भाद्रपद की पूर्णिमा तिथि से पितृपक्ष शुरू होने वाला है। अगले 16 दिनों तक पूर्वजों का तर्पण किया जाएगा। आश्विन कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से अमावस्या तक पितरों की श्राद्ध करने की परंपरा है।
जिस तिथि पर पूर्वजों की मृत्यु हुई थी, उस तिथि पर घरों में विशेष पूजा-अर्चना के साथ नदी, तालाब आदि स्थानों पर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ तर्पण किया जाता है। इसके अलावा पितृ पक्ष में ब्राह्मणों को दान-पुण्य और भोजन भी कराया जाता है। इस दिन पूर्णिमा को मृत्यु प्राप्त करने वाले जातकों का श्राद्ध किया जाता है। यह केवल भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा अथवा आश्विन कृष्ण अमावस्या को किया जाता है।
जानिए कैसे करें पूर्णिमा का श्राद्ध : -
* पूर्णिमा के दिन दूध-चावल की इलायची-केसर, शक्कर और शहद मिलाकर खीर तैयार कर लें।
* अब गाय के गोबर के कंडे को जलाकर पूर्ण प्रज्ज्वलित कर लें। उक्त कंडे को शुद्ध स्थान में किसी बर्तन में रखकर, खीर से तीन आहुति दें।
* भोजन में से सर्वप्रथम गाय, काले कुत्ते और कौए के लिए ग्रास अलग से निकालकर उन्हें खिला दें।
* इसके पश्चात ब्राह्मण को भोजन कराकर स्वयं भोजन ग्रहण करें। तपश्चात ब्राह्मणों को यथायोग्य दक्षिणा दें।