सर्वपितृ अमावस्या पर यह हैं सबसे सरल और सटीक उपाय... जरूर आजमाएं...
1 : दक्षिण दिशा में पितरों के निमित्त 2, 5, 11 या 16 दीपक जरूर जलाएं।
2 : पीपल और तुलसी को संध्या काल में जल चढ़ाएं।
3 : पितरों का ध्यान करते हुए पीपल के पेड़ पर कच्ची लस्सी, थोड़ा गंगाजल, काले तिल, चीनी, चावल, जल तथा पुष्प अर्पित करें और 'ॐ पितृभ्य: नम:' मंत्र का जाप करें।
4 : सूर्य को तांबे के बर्तन में लाल चंदन, गंगा जल और शुद्ध जल मिलाकर 'ॐ पितृभ्य: नम:' का बीज मंत्र पढ़ते हुए तीन बार अर्घ्य दें।
5 : किसी भी शिव मंदिर में 5 प्रकार के फल रखकर प्रार्थना करें कि इन 16 दिनों में मेरे पितृ जो आस लेकर आए थे, हो सकता है उसमें कमी रह गई हो पर वे मेरी अनन्य भक्ति को ही पूजा समझ कर ग्रहण करें।
6 : गाय, कुत्ता, कौआ, पक्षी और चींटी को आहार जरूर प्रदान करें।
7 : 5 तरह की मिठाई भी शिव मंदिर में अर्पित कर सकते हैं।
8 : 5 ब्राह्मणों को दक्षिणा दें।
9 : चांदी के बर्तन में गुड़, दूब, फूल और तिल से तर्पण करें।
10 : सुगंधित धूप दें, जब तक वह जले तब तक ॐ पितृदेवताभ्यो नम: का जप करें और इसी मंत्र से आहुति दें।
अन्य उपाय : नलकूप, धर्मशाला, वृद्धाश्रम आदि में दान करें। गीता, भागवत पुराण, विष्णु सहस्रनाम, गरुड़पुराण, गजेंद्र मोक्ष, गायत्री मंत्र आदि का पाठ सुयोग्य ब्राह्मण से करवाएं। गंगा घाट हरिद्वार, काशी, प्रयाग आदि तीर्थ स्थलों में पितरों के नाम से पिंड दान दें। पितृ कवच, पितृ सूक्तम आदि का पाठ करें।