10 सितंबर से पितृ पक्ष चल रहा है जो 25 सितंबर 2022 को समाप्त होगा। सलिए श्राद्धपक्ष में पिंडदान और तर्पण जरूर करना चाहिए। श्राद्ध पक्ष की 16 तिथियां होती हैं। उनमें से कुछ तिथियां बहुत ही महत्वपूर्ण होती है। उन्हीं तिथियों में एकादशी तिथि का श्राद्ध बहुत ही खास माना जाता है। भले ही इस तिथि को आपके किसी दिवंगत की तिथि न हो फिर भी श्राद्ध करना चाहिए। आओ जानते हैं 14 खास बातें।
1. एकादशी के दिन व्रत भी रखा जाता है। इस बार इंदिरा एकादशी का व्रत रखा जाएगा।
2. एकादशी तिथि को संन्यास लेने वाले व्यक्तियों का श्राद्ध करने की परंपरा है।
3. एकादशी तिथि के दिन श्राद्ध का दान किया गया है तो यह सर्वश्रेष्ठ दान है।
4. एकादशी तिथि का श्राद्ध करने वालों को समस्त वेदों का ज्ञान प्राप्त होता है।
5. एकादशी के श्राद्ध करने वालों के सम्पूर्ण पापकर्मों का विनाश हो जाता है
6. एकादश का श्राद्ध करने वाला निरंतर ऐश्वर्य की प्राप्ति करता है।
7. एकादशी तिथि का श्राद्ध करने से ऋषि और संन्यासियों को आशीर्वाद मिलता है।
8. एकादशी का श्राद्ध करने से पितरों को अधोगति से मुक्ति मिलती है।
9. माना जाता है कि यदि आपके कोई पूर्वज जाने-अंजाने हुए अपने पाप कर्मों के कारण यमलोक में अपने कर्मों का दंड भोग रहे हैं तो इस एकादशी पर विधिपूर्वक व्रत करके इस व्रत के पुण्य को उनके नाम पर दान कर दिया जाए तो उन्हें इस दंड से छुटकारा मिलकर स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
10. इस दिन व्रत रखकर श्राद्ध कर्म करने से पितरों के देव अर्यमा और भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं।
11. इस एकादशी का व्रत रखने और श्राद्ध करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है।
12. इस दिन पूजा करके आप जाने-अनजाने में हुए अपने पाप कर्मों से छुटकारा भी पा सकते हैं।
13. इस एकादशी पर गाय, कौए, कुत्ते, चींटी, मछली को भी भोज्य कराएं और साथ ही पीपल देव के नीचे अन्न जल रखें। उपरोक्त सभी पहले देवताओं को अग्निग्रास दें। इस कर्म से एकादशी का फल दोगुना हो जाएगा और सभी तरह के संकटों से मुक्ति मिलती है।
14. इस दिन शालिग्राम की मूर्ति का पूजन करें, ब्राह्मणों को भोजन कराने और पितरों का तर्पण करने से सभी तरह के संकट दूर हो जाते हैं और घर में सुख, शांति एवं समृद्धि बढ़ती है। रुके हुए सभी कार्य पूर्ण हो जाते हैं।