भाद्रपद की पूर्णिमा अर्थात 20 सितंबर 2021 से अश्विन माह की अमावस्या अर्थात 6 अक्टूबर तक श्राद्ध पक्ष रहेगा। पितृ पक्ष श्राद्ध में तर्पण, पिंडदान और पूजन करना के एक निश्चित समय होता है। सर्वपितृ अमावस्या पर आप श्राद्ध करने जा रहे हैं तो जान लीजिये कि कहां या किस स्थान पर करना चाहिए श्राद्ध।
1. श्राद्ध आप अपने घर में भी कर सकते हैं। दक्षिण में मुख करके श्राद्ध किया जाता है।
2. किसी पवित्र नदी, नदी संगम या समुद्र में गिरने वाली नदियों के तट पर उचित समय में विधि-विधान से श्राद्ध किया जा सकता है।
3. तीर्थ क्षेत्र या पवित्र वट-वृक्ष के नीचे भी श्राद्ध कर्म किया जा सकता है।
4. समुद्र के तट पर भी श्राद्ध किया जा सकता है।
5. जहां बैल न हों ऐसी गौशाला में भी उचित स्थान को गोबर से लिपकर शुद्ध करके श्राद्ध किया जा सकता है।
5. पवित्र पर्वत शिखर पर भी श्राद्ध किया जा सकता है। वनों में, स्वच्छ और मनोहर भूमि पर भी विधिपूर्वक श्राद्ध किया जा सकता है।
नोट : दूसरों की भूमि और अपवित्र भूमि पर श्राद्ध नहीं करते हैं। भूमि स्वयं की हो या सार्वजनिक होना चाहिए। अगर दूसरे के गृह या भूमि पर श्राद्ध करना पड़े तो किराया भूस्वामी को दे देना चाहिए।