Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

पितर नहीं हो पाए हाईटेक

- रजनीश बाजपेई

हमें फॉलो करें पितर नहीं हो पाए हाईटेक
ND

पटना से दक्षिण में 97 किलोमीटर दूर स्थित है गया। यहाँ पर हर साल पितृपक्ष में फल्गू नदी के तट पर विशाल मेला आयोजित होता है, जहाँ देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु अपने पितरों के तर्पण के लिए आते हैं। ऐसी प्राचीन मान्यता है कि यदि आप अपने पितरों का यहाँ पर तर्पण कर देते हैं तो वे आवागमन से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त कर लेते हैं। इस प्रकार तर्पण करने वाला अपने पितृऋण से मुक्त हो जाता है।

बिहार सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने इस बार पितृपक्ष मेले पर ऑनलाइन श्राद्ध की व्यवस्था की थी, ताकि देश-विदेश के लाखों श्रद्धालु जो विभिन्न कारणों से गया तक नहीं आ पाते, वे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए श्राद्ध कर सकें, लेकिन पंडों और विभिन्न धार्मिक संगठनों के विरोध के चलते सरकार को यह फैसला वापस लेना पड़ा। यदि यह फैसला लागू होता तो श्रद्धालु फल्गू नदी के तट पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पंडों से रूबरू होते और भुगतान क्रेडिट कार्ड के जरिए करते।

क्या कहना है पंडों का : पवित्र फल्गू नदी के किनारे बसे इस शहर के पंडों का मानना है कि वही पिंडदान पितरों की आत्मा को शांति दिला सकता है, जिसमें उसक परिजन सशरीर गया में मौजूद हों। इस लिहाज से ऑनलाइन पिंडदान कराने का सरकार का फैसला न तो शास्त्र सम्मत है और न पिंडदान करने और कराने वालों के हक में। गया के पंडों ने सरकार के इस फैसले को पुरातन काल से चली आ रही धार्मिक मान्यताओं और रीति-रिवाजों पर आक्रमण करार दिया था।

एक पंडे कहते हैं,'यह सब उन लोगों के दिमाग की उपज है, जो धार्मिक मान्यताओं के संबंध में कुछ भी नहीं जानते और न ही उन्हें धार्मिक रीति-रिवाजों की कोई जानकारी है। अमेरिका, योरप या देश के ही किसी अन्य कोने पर बैठा आदमी ऑनलाइन पिंडदान कर तो सकता है, लेकिन इससे उसके पितरों को शांति नहीं मिल सकती। यह कार्य गया में आकर ही संभव है।' पिंडदान कराने वाले एक अन्य पुजारी कहते हैं, 'हम समझ नहीं पा रहे हैं कि सरकार ने ऑनलाइन पिंडदान का विचार ही क्यों किया। यह संभव नहीं है, क्योंकि पिंडदान के अवसर पर पिंडदान करने वाले की गया में ही कुछ सशरीर क्रियाएँ आवश्यक हैं।'

webdunia
ND
क्यों लिया गया था यह निर्णय : राज्य के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी मानते हैं कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पिंडदान करने वाला व्यक्ति अपनी शारीरिक मौजूदगी जाहिर कर सकता है। इसीलिए पर्यटन विभाग ने दूर बसे लोगों के लिए इस साल से ऑनलाइन पिंडदान की व्यवस्था शुरू की थी। श्री मोदी की अध्यक्षता में पितृपक्ष मेला-2009 की तैयारियों के सिलसिले में हुई एक बैठक में यह निर्णय लिया गया था।

बैठक में कहा गया था कि राज्य सरकार का पर्यटन विभाग ऑनलाइन पिंडदान पूजा को व्यवस्थित कराने का कार्य करेगा। इस सुविधा से प्रवासी भारतीय और देश के दूर-दराज के इलाकों के लोग भी अब क्रेडिट कार्ड से निर्धारित शुल्क का भुगतान करके वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपने पूर्वजों के लिए विदेशों से अपने घर बैठे पिंडदान पूजा में शामिल हो सकते हैं। खैर, अब यह प्रस्ताव वापस ले लिया गया है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi