Shivling is increasing: हिंदुओं के मंदिर चमत्कारों से भरे हैं। आपको सैंकड़ों मंदिर मिल जाएंगे जहां पर जाकर आप वहां के चमत्कार को देखकर आश्चर्य करेंगे। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि 6 जगहों के शिवलिंग लगातर बढ़ते जा रहे हैं जबकि एक जगह तो नंदी महाराज भी बढ़ते जा रहे हैं। नंदी महाराज तो इतने बढ़ गए हैं कि मंदिरों के स्तंभ को अब खतरा महसूस होने लगा है।
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1. पौड़ीवाला शिव मंदिर : हिमाचल प्रदेश में नाहन से करीब 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पौड़ीवाला शिव मंदिर का शिवलिंग प्रतिवर्ष एक जौ के दाने के बराबर बढ़ता है। कहते हैं कि इसे रावण स्थापित किया था। यह स्थान इसे स्वर्ग की दूसरी पौड़ी के नाम से भी जाना जाता है।
2. तिल भांडेश्वर : काशी में कई शिव मंदिर हैं लेकिन बाबा तिल भांडेश्वर के मंदिर का शिवलिंग प्रतिवर्ष तिल के आकार का बढ़ जाता है। कहते हैं यह सत्युग में प्रगट हुआ स्वयंभू शिवलिंग कलयुग के पहले हर दिन बढ़ जाता था। इससे यह चिंता सताने लगी कि इस तर तो पूरी काशी इस शिवलिंग में समा जाएगी। तब शिव की आराधना की गई और उन्होंने प्रकट होकर कहा कि अब से इस शिवलिंग का आकार हर साल मकर संक्रांति के दिन ही बढ़ेगा।
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3. मृदेश्वर महादेव : गुजरात के गोधरा में स्थित मृदेश्वर महादेव के बढ़ते शिवलिंग के बारे में मान्यता है कि जिस दिन इस शिवलिंग का आकार साढ़े आठ फुट का हो जाएगा उस दिन यह मंदिर की छत को छू लेगा। तब से प्रलय प्रारंभ हो जाएग। इस शिवलिंग का आकार एक वर्ष में एक चावल के दाने के बराबर बढ़ता है।
4. मतंगेश्वर मंदिर : खजुराहो में मतंगेश्वर मंदिर के शिवलिंग जिसके बारे में कहा जाता है कि भगवान श्री राम ने भी यहां पूजा की थी। इस शिवलिंग के बारे में कहा जाता है कि हर साल यह तिल के आकार में बढ़ रहा है। वर्तमान में यह 18 फुट का है।
6. बिलावली महाकाल : मध्यप्रदेश के देवास नगर में बिलावली गांव में भी एक प्राचीन शिवलिंग है जिसे उज्जैन के महाकाल की प्रतिकृति माना जाता है। यह शिवलिंग भी श्रावण मास की शिवरात्रि में एक तिल बराबर बढ़ जाता है।
7. नंदी महाराज : आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले में स्थित है श्री यागंती उमा महेश्वर मंदिर। यांगती उमा महेश्वर मंदिर में शिवलिंग के सामने पत्थर के एक नंदी विराजमान हैं जो लगातार बढ़ते जा रहे हैं। ऐसी मान्यता है कि अगस्त्य ऋषि के द्वारा निर्मित इस मंदिर में स्थापित नंदी की प्रतिमा लगातार बढ़ती जा रही है और इसके कारण मंदिर के कई स्तंभ भी हटाना पड़ा है।
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