Rudrabhishek puja vidhi: श्रावण मास में भगवान शिव का जलाभिषेक, पंचामृत अभिषेक और रुद्राभिषेक करने का बहुत महत्व है। सावन माह में शिव पूजा के विशेष दिनों में या सावन सोमवार के दिन रुद्राभिषेक करने से शिवजी की कृपा प्राप्त होती है। अभिषेक शब्द का शाब्दिक अर्थ है स्नान करना या कराना। रुद्राभिषेक का अर्थ है भगवान रुद्र का अभिषेक। यदि आप भी शिवजी का रुद्राभिषेक करना चाहते हैं तो जानें इसका लाभ और पूजा की सरल विधि।
रुद्राभिषेक का महत्व एवं लाभ- Rudrabhishek ka mahatva benefits :-
रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र: यानी कि रुद्र भगवान सभी दु:खों को नष्ट कर देते हैं।
रुद्राभिषेक से हमारे द्वारा किए गए पाप नष्ट हो जाते हैं।
रुद्रार्चन और रुद्राभिषेक से हमारी कुंडली से पातक कर्म एवं महापातक भी जलकर भस्म हो जाते हैं।
कालसर्प योग, गृहक्लेश, व्यापार में नुकसान, शिक्षा में रुकावट सभी कार्यों की बाधाओं को दूर करने के लिए रुद्राभिषेक करें
रुद्राभिषेक पूजा की सरल विधि- Rudrabhishek puja vidhi :-
पूजा सामग्री- भांग, धतूरा, बेलपत्र, दूध, दही, घृत, शहद, चीनी, अनार, ऋतुफल, भस्म, चंदन, सफेद फूल, जल का पात्र, गंगा जल, शिव भोग, प्रसाद आदि।
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शिवलिंग को उत्तर दिशा में स्थापित करके पूर्व में मुख करके रुद्राभिषेक करते हैं।
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पहले शिवलिंग का शुद्ध जल या गंगाजल से जलाभिषेक करें।
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इसके बाद पंचामृत (दूध, दही, शहद, शक्कर, घी) समेत गन्ने का रस आदि सभी तरल पदार्थ से उनका अभिषेक करें।
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अभिषेक करते समय शिवजी का पंचाक्षरी मंत्र- ॐ नम: शिवाय का जप करते रहें।
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उपरोक्त अभिषेक करने के बाद पुन: जलाभिषेक करें।
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इसके बाद शिवजी को चंदन और भस्म का लेप लगाएं।
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लेप लगाते समय महामृत्युंजय मंत्र या रुद्राष्टकम मंत्र का जाप करें।
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इसके बाद उन्हें पान का पत्ता, बेलपत्र सहित सभी बची हुई पूजा सामग्री करें।
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इसके बाद उन्हें उनकी पसंद का भोग लगाएं और इसके बाद 108 बार शिव मंत्र का जप करें।
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जप करने के बाद उनकी आरती उतारते हैं।
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आरती के बाद प्रसाद वितरण करते हैं।