हिन्दू कैलेंडर अनुसार आषाढ़ माह के बाद श्रावण माह लगता है। श्रावण और भाद्रपद 'वर्षा ऋतु' के मास हैं। वर्षा नया जीवन लेकर आती है। इस माह से ही चातुर्मास लगता है। इस संपूर्ण माह में जहां नया जीवन विकसित होता है वहीं पाचन शक्ति भी कमजोर हो जाती है। इसीलिए इस माह में उत्तम भोजन, फल या व्रत रखने की हिदायत दी जाती है लेकिन इन 10 लोगों को व्रत नहीं रखना चाहिए।
1. अशौच अवस्था में व्रत नहीं करना चाहिए। अशौच अर्थात अशुद्ध, मलिनता आदि।
2. जिसकी शारीरिक स्थिति ठीक न हो उसे भी व्रत नहीं रखना चाहिए। उसे उत्तम फल और भोजन का उपयोग करना चाहिए।
3. व्रत करने से उत्तेजना बढ़े और व्रत रखने पर व्रत भंग होने की संभावना हो तो ऐसे असंकल्पी व्यक्ति को भी व्रत नहीं करना चाहिए।
4. रजस्वरा स्त्री को भी व्रत नहीं रखना चाहिए।
6. यदि कहीं पर जरूरी यात्रा करनी हो तब भी व्रत रखना जरूरी नहीं है।
7. युद्ध के जैसी स्थिति में भी व्रत त्याज्य है।
8. रोग या बुखार आदि स्थिति में भी व्रत नहीं रखना चाहिए।
9. बच्चों और बूढ़ों को भी अपनी शारीरिक स्थिति अनुसार व्रत नहीं रखना चाहिए या वे व्रत के खाद्य पदार्थ खाकर व्रत रख सकते हैं।
10. घर-गृहस्थी में ऐसे कई महत्वपूर्ण कार्य होते हैं जिनको करना होता है। जिनको करने से शारीरिक या मानसिक श्रम लगता है और मानसिक कष्ट होता हो तो भी व्रत नहीं रखना चाहिए।
नोट : श्रावण मास में खासकर भूमि शयन और ब्रह्मचर्य का पालन करना जरूरी होता है। व्रत का नंबर तीसरा आता है। व्रत के दौरान यदि फलों का ही सेवन करते हैं तो अति उत्तम।