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सावन में व्रत रख रहे हैं तो इन तीन योगासनों को करना न भूलें, बनी रहेगी फिटनेस

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WD Feature Desk

, बुधवार, 16 जुलाई 2025 (16:29 IST)
Vrat yoga for energy: सावन का पावन महीना न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा से भरा होता है, बल्कि यह आत्मशुद्धि और शारीरिक संतुलन को भी प्राथमिकता देने का बेहतरीन समय होता है। इस दौरान कई लोग पूरे महीने व्रत रखते हैं, फलाहार करते हैं और मानसिक रूप से खुद को शिव भक्ति में लीन कर देते हैं। लेकिन व्रत के दौरान अक्सर देखा गया है कि लोग शारीरिक कमजोरी, थकान या एनर्जी की कमी का अनुभव करने लगते हैं। ऐसे में अगर आप अपने शरीर को चुस्त, सक्रिय और फिट बनाए रखना चाहते हैं, तो कुछ विशेष योगासनों को अपने रूटीन में शामिल करना बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है।
 
व्रत में योग का महत्व क्यों है?
व्रत के दौरान शरीर को संतुलित पोषण नहीं मिल पाता, जिससे मांसपेशियों में जकड़न, थकावट और आलस आ सकता है। योगासन न केवल आपकी एनर्जी को बनाए रखते हैं, बल्कि पाचन, ब्लड सर्कुलेशन और मानसिक फोकस को भी बेहतर बनाते हैं। खासकर सावन जैसे आध्यात्मिक मौसम में जब मन पूजा-पाठ में रम जाता है, तो योग आपके शरीर और आत्मा को जोड़ने का एक सुंदर माध्यम बन जाता है।
 
1. ताड़ासन (Mountain Pose)
ताड़ासन को सुबह-सुबह करने से शरीर में खिंचाव आता है और रीढ़ की हड्डी सीधी होती है। यह आसन शरीर को संतुलन देने के साथ-साथ एनर्जी बूस्ट करने में मदद करता है। व्रत के दौरान यह आसन बहुत फायदेमंद है क्योंकि इससे शरीर में लचीलापन आता है और थकावट महसूस नहीं होती।
 
कैसे करें: सीधे खड़े हो जाएं, दोनों हाथों को ऊपर की ओर उठाएं और पंजों के बल खड़े हो जाएं। गहरी सांस लेते हुए शरीर को ऊपर की ओर खींचें। यह प्रक्रिया 30 सेकंड से 1 मिनट तक दोहराएं।
 
2. वज्रासन (Thunderbolt Pose)
व्रत में फलाहार या हल्का भोजन किया जाता है, ऐसे में पाचन तंत्र का स्वस्थ रहना बेहद जरूरी है। वज्रासन खाने के बाद करने वाला इकलौता आसन है, जो न केवल पेट को सही रखता है बल्कि गैस, अपच और एसिडिटी से भी राहत देता है।
 
कैसे करें: घुटनों को मोड़कर जमीन पर बैठ जाएं और एड़ियों पर शरीर का वजन रखें। पीठ को सीधा रखें और हाथों को घुटनों पर रखें। 5 से 10 मिनट तक इस मुद्रा में बैठें।
 
3. अनुलोम-विलोम प्राणायाम
सावन के व्रत में मानसिक एकाग्रता और शांति बनाए रखना बेहद ज़रूरी होता है। अनुलोम-विलोम एक ऐसा प्राणायाम है जो मस्तिष्क को शांत करता है, फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ाता है और ऑक्सीजन का प्रवाह बेहतर करता है।
 
कैसे करें: आराम से बैठ जाएं। दाहिने नथुने को अंगूठे से बंद कर बाएं से सांस लें, फिर बाएं को बंद कर दाहिने से सांस छोड़ें। इसी प्रक्रिया को उलटते हुए दोहराएं। रोज 5–10 मिनट इसका अभ्यास करें।
 
सावधानी और सुझाव
सावन में योग करते समय शरीर की सीमाओं को समझना जरूरी है। व्रत के दौरान अत्यधिक थकाने वाले योगाभ्यास से बचें और शरीर को स्ट्रेच और बैलेंस देने वाले सरल आसनों को ही चुनें। योग को हमेशा खाली पेट या हल्के फलाहार के बाद करें और इसके साथ भरपूर पानी पिएं, ताकि शरीर हाइड्रेटेड बना रहे।
 

अस्वीकरण (Disclaimer) : सेहत, ब्यूटी केयर, आयुर्वेद, योग, धर्म, ज्योतिष, वास्तु, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार जनरुचि को ध्यान में रखते हुए सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। इससे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। 

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