Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

श्रावण मास में 'कनखल' आकर सदियों से वादा निभा रहे हैं भगवान शिव

हमें फॉलो करें श्रावण मास में 'कनखल' आकर सदियों से वादा निभा रहे हैं भगवान शिव
पूर्णिमा की आधी रात कनखल आ जाएंगे भोलेनाथ
 
श्रावण के एक महीने के लिए धर्मनगरी हरिद्वार में भोलेनाथ का साम्राज्य हो जाएगा। दक्षेश्वर बनकर महारुद्र पूरे श्रावण मास अपनी ससुराल कनखल में विराजेंगे। पत्नी सती और अपने ससुर राजा दक्ष को दिया वचन निभाने के लिए आधी रात से शिव का आगमन कनखल में होगा। गुरु पूर्णिमा भोलेनाथ का स्वागत करेंगी। गुरु पूर्णिमा से श्रावण पूर्णिमा तक दक्षेश्वर मंदिर में शिव भक्त जल चढ़ाते रहेंगे।
 
सृष्टि की रचना ब्रह्मा ने की थी। कनखल के राजा दक्ष उन्हीं ब्रह्मा के पुत्र थे। आदि देव शिव ने दक्ष पुत्री सती से दक्ष की इच्छा के विपरीत विवाह किया था। ब्रह्मा पुत्र दक्ष नहीं चाहते थे कि भस्म रमाने वाले और श्मशान पर साधना करने वाले शिव से वे अपनी पुत्री का विवाह करें। सती की जिद के चलते दक्ष को पुत्री के आगे झुकना पड़ा और सती का विवाह शिव से करना पड़ा। यद्यपि अपने जामाता भूतभावन शिव के सामने दक्ष को झुकना पड़ा। सती शिव की अर्धांगिनी बन गई। 
 
कालांतर में राजा दक्ष ने एक महायज्ञ का आयोजन कनखल के पास यज्ञजीतपुर बसाकर किया। इस यज्ञ में 84 लाख ऋषि-मुनियों और देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया। शिव से बैर रखने वाले दक्ष ने सती और शिव को निमंत्रण नहीं भेजा। शंकर के मना का करने के बावजूद कैलाश पर बैठी सती ने जब पिता के महायज्ञ का आयोजन देखा तो शिव की अनिच्छा से पति से जिद कर सती कनखल आ गई। 
 
शिव का कोई स्थान न देखकर सती जब क्षुब्ध हुई तो दक्ष ने सती का भी अपमान किया। पति के अपमान से क्षुब्ध होकर सती ने दक्ष के यज्ञ कुंड में आत्मदाह कर लिया। जब शिव ने अपने गणों के माध्यम से दक्ष का यज्ञ भंग करा दिया। वीरभद्र ने शिव के आदेश पर दक्ष की गर्दन काट डाली। आगे चलकर देवताओं की प्रार्थना पर शिव ने दक्ष को जीवनदान दिया। दक्ष की प्रार्थना पर शिव ने पूरे श्रावण मास दक्षेश्वर बनकर कनखल में विराजने का वचन दक्ष को दिया। तब से हर श्रावण में भोलेनाथ अपना वचन निभाने के लिए कनखल आते हैं। गुरु पूर्णिमा की रात उनका आगमन हो जाएगा।


सावन सोमवार की पवित्र और पौराणिक कथा (देखें वीडियो) 
 
 

 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

भगवान शिव को क्यों प्रिय है श्मशान, पढ़ें जीवन दर्शन