श्रावण मास की प्रामाणिक पूजा विधि
	 
	श्रावण मास में जो लोग विधिविधान से पूजा करना चाहते हैं उन्हें पंडित खोजने में परेशानी होती है, पंडित अगर मिल जाए तो उसे पूरा ज्ञान नहीं होता। वेबदुनिया की धर्म डेस्क ने पंडितों से बात कर प्रामाणिक पूजन विधि तैयार की है। इसके माध्यम से आप घर पर भी पूजन कर सकते हैं। प्रस्तुत है श्रावण मास पूजन विधि... 
 
									
								
			        							
								
																	
	 
	 
	कैसे करें श्रावण मास में पूजन :- 
	 
	विधि : शिव पूजन के लिए स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ-सुथरे आसन पर पूर्व या उत्तर दिशा में मुंह करके बैठ जाएं। पूजन की सामग्री अपने पास रख लें। अच्छी मिट्टी भी पास रखें। हो सके तो भस्म का त्रिपुण्ड लगाकर बैठें। पवित्री धारण कर आचमन, प्राणायाम करें।
 
									
										
								
																	
	 
	3 बार - ॐ केशवाय नम:। ॐ नारायणाय नम:। ॐ माधवाय नम:-  मंत्र का जाप करें।
	 
	आचमन के पश्चात दाहिने हाथ के अंगूठे के मूल भाग से ॐ ऋषिकेशाय नम:, ॐ गोविन्दाय नम: कहकर होठों को पोंछ लें एवं हाथ धो लें। इसके बाद बाएं हाथ से जल लेकर दाहिने हाथ से अपने ऊपर और पूजा सामग्री पर जल छिड़क लें। यह बोलकर-
 
									
											
									
			        							
								
																	ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां- गतोऽपि वा।
	- य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर: शुचि:।।
 
									
					
			        							
								
																	
	ॐ पुण्डरीकाक्षं पुनातु, ॐ पुण्डरीकाक्षं पुनातु, ॐ पुण्डरीकाक्षं पुनातु,
	 
	हाथ में अक्षत एवं पुष्प लेकर गणपति स्मरण करें।
	 
 
									
					
			        							
								
																	
	- गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्यजम्बूफलं चारुभक्षणम्।
	उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम्।।
 
									
					
			        							
								
																	
	 
	भगवती गौरी का ध्यान करें : -
	 
	- नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नम: 
 
									
					
			        							
								
																	
	नम: प्रकृत्यै भद्रायै नियता: प्रणता: स्मताम्।।
	श्री गणेशाम्बिकाभ्यां नम:, ध्यानं समर्पयामि।
 
									
					
			        							
								
																	
	 
	इसके बाद दाहिने हाथ में अर्घ्य पात्र लेकर उसमें कुश, पुष्प, अक्षत, जल और द्रव्य रखकर संकल्प करें -
 
									
					
			        							
								
																	
	 
	- ॐ विष्णुर्विष्णु: अध ब्रह्मणोऽह्नि द्वितीयपरार्धे
	श्री श्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरेऽष्टाविंशतितमे- 
	 
 
									
					
			        							
								
																	
	कलियुगे कलिप्रथम चरणे बौद्धावतारे भूर्लोके जम्बूद्वीपे भरतखण्डे भारतवर्षे... क्षेत्रे नगरे ग्रामे.... नाम संवत्सरे श्रावण मासे (शुक्ल/ कृष्ण) पक्षे- तिथौ... वासरे (अपना गौत्र) गौत्र: नाम अपना शर्मा/ वर्मा गुप्तोहम मम सर्वारिष्ट निरसनपूर्वक सर्वपापक्षयार्थ- 
	 
 
									
					
			        							
								
																	
	दीर्घायुरारोग्य धनधान्यपुत्र-पौत्रदिसमस्तसम्पत्प्रवृद्धयर्थ श्रुतिस्मृति पुराणोक्तफलप्राप्तर्थ श्रीसाम्बसदाशिवप्रीत्यर्थ पार्थिव लिंगपूजनमहं करिष्ये।
 
									
					
			        							
								
																	
	 
	इसके बाद भूमि की प्रार्थना करें -
	ॐ ह्राँ पृथ्विये नम:।
	 
	- मिट्टी ग्रहण- उद्धल्तासि वराहेण कृष्णेन शतबाहुना।
 
									
					
			        							
								
																	
	मृत्तिके त्वां गृह्रामि प्रजया च धनेन च।।
	 
	या- ॐ हराय नम: बोलकर मिट्टी धारण करें।
 
									
					
			        							
								
																	
	 
	इसके बाद
	 
	- ॐ महेश्वराय नम: बोलकर लिंग का गठन करें। यह अंगूठे से छोटा न हो और न ही बित्ते से बड़ा हो।
 
									
					
			        							
								
																	
	 
	विशेष- जो लोग संक्षिप्त में करना चाहें वो यहां से पूजन शुरू करें। 
 
									
					
			        							
								
																	
	 
	* मिट्टी के लिंग बनाकर या शिवलिंग को घर में रखकर पूजन करें।
	 
	* ॐ शूलपाणये नम:, हे शिव इह प्रतिष्ठितो भव:, यह कहकर लिंग की प्रतिष्ठा करें।
 
									
					
			        							
								
																	
	 
	प्रतिष्ठा के बाद शिवजी का ध्यान करें।
	 
	ध्यान- ध्यायेन्नित्यं महेशं रजतगिरिनिभं चारुचन्द्रावतंसं
 
									
					
			        							
								
																	
	रत्नाकल्पोज्ज्वलांग परशुभृगबराभीतिहस्तं प्रसन्नम्।
	पधासीनं समन्तात स्तुतममरगणैर्व्याध्रकृत्तिं वसानं
 
									
					
			        							
								
																	
	विश्वाधं विश्ववीजं निखिलभयहरं पववत्रंत्रिनेत्रम्
	 
	आवाहन- ॐ पिनाकघृषे नम: श्री साम्बसदाशिव पार्थिवेश्वर इहागच्छ, इह प्रतिष्ठ, भव।
 
									
					
			        							
								
																	
	 
	श्री भगवते साम्बसदाशिव (पार्थिवेश्वराय) नम: आवाहनार्थे पुष्पं समर्पयामि। (बोलकर पुष्प चढ़ाएं)।
 
									
					
			        							
								
																	
	 
	पाध- ॐ नम: शिवाय, श्री भगवते साम्बसदाशिवाय नम:, आसनार्थे अक्षतान समर्पयामि (चावल चढ़ाएं)
	 
 
									
					
			        							
								
																	
	अर्घ्य- ॐ नम: शिवाय, श्री भगवते साम्बसदाशिवाय नम:, आचमनीय जलं समर्पयामि। (जल चढ़ाएं)
 
									
					
			        							
								
																	
	 
	मधुपर्क- ॐ नम: शिवाय, श्री भगवते साम्बसदाशिवाय नम:, मधुपर्क समर्पयामि। (शहद (निवेदित करें) चढ़ाएं)
 
									
					
			        							
								
																	
	 
	शुद्धोदक स्नान- ॐ नम: शिवाय, श्री भगवते साम्बसदाशिवाय नम:, स्नानीयं जलं समर्पयामि।(जल चढ़ाएं)
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	पंचामृत स्नान- ॐ नम: शिवाय, श्री भगवते साम्बसदाशिवाय नम:, पंचामृत स्नान समर्पयामि। (पंचामृत चढ़ाएं)
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	शुद्धोदक स्नान- ॐ नम: शिवाय, श्री भगवते साम्बसदाशिवाय नम:, शुद्धोदक स्नान समर्पयामि। (शुद्ध जल चढ़ाएं)
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	आचमन- शुद्धोदक स्नानान्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि (जल चढ़ाएं।
	 
	अभिषेक- पार्थिव लिंग पर महिम्न स्तोत्र या वैदिक रुद्र सूक्त से या घर पर कर रहे हों तो नम: शिवाय की माला से अभिषेक करें। फिर गन्धोदक स्नान- ॐ नम: शिवाय, श्री भगवते साम्बसदाशिवाय नम:, गन्धोदक स्नान समर्पयामि।
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	(गन्धोदक से स्नान कराएं)
	 
	शुद्ध स्नान- 
गन्धोदकस्नानान्ते शुद्धस्नानं समर्पयामि।
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	शुद्धोदक स्नानान्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि।
	(शुद्ध जल से स्नान एवं आचमन कराएं)।
	 
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	वस्त्र- ॐ नम: शिवाय, श्री भगवते साम्बसदाशिवाय नम:, वस्त्रं समर्पयामि। (वस्त्र चढ़ाएं)
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	आचमन- वस्त्रांन्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि। (जल चढ़ाएं)
	 
	यज्ञोपवीत- ॐ नम: शिवाय, श्री भगवते साम्बसदाशिवाय नम:, यज्ञोपवीत समर्पयामि। (जनेऊ चढ़ाएं)
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	फिर एक अंचूनी (आचमनी) जल चढ़ाएं।
	 
	चन्दन- ॐ नम: शिवाय, श्री भगवते साम्बसदाशिवाय नम:, चन्दन समर्पयामि। (चन्दन चढ़ाएं)
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	भस्म- ॐ नम: शिवाय, श्री भगवते साम्बसदाशिवाय नम:, भस्म समर्पयामि। (भस्म चढ़ाएं)
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	अक्षत- ॐ नम: शिवाय, श्री भगवते साम्बसदाशिवाय नम:, अक्षतान समर्पयामि। (अक्षत चढ़ाएं)
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	पुष्पमाला- ॐ नम: शिवाय, श्री भगवते साम्बसदाशिवाय नम:, पुष्पमालां समर्पयामि। (पुष्प, पुष्पमाला चढ़ाएं)
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	बिल्वपत्र- ॐ नम: शिवाय, श्री भगवते साम्बसदाशिवाय नम:, बिल्वपत्राणि समर्पयामि। (बिल्वपत्र चढ़ाएं)
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	फिर दूर्वा एवं धतूरे का फूल चढ़ाएं।
	 
	फिर धूप, धूप के बाद दीपक भगवान को बताएं, यह कहकर -
	 
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	ॐ नम: शिवाय, श्री भगवते साम्बसदाशिवाय नम:, धूप-माघ्रापयामि, दीपं दर्शयामि।
	 
	उसके बाद नैवेद्य लगाएं
	 
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	ॐ नम: शिवाय, श्री भगवते साम्बसदाशिवाय नम:, नैवेद्यं समर्पयामि (निवेदयामि)। आचमनीयं जलं समर्पयामि। फिर ऋतुफलं समर्पयामि। फिर ऋतुफलं चढ़ाएं
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	फिर- ताम्बुल फलं हिरण्यगर्भ दक्षिणां समर्पयामि।
इसके बाद प्रभु शिवजी की आरती करें।
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	आरती- ॐ नम: शिवाय, श्री भगवते साम्बसदाशिवाय नम:, आरर्तिक्यं समर्पयामि। (आरती करके जल गिराएं)
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	फिर मंत्र पुष्पांजलि
	 
	ॐ नम: शिवाय, श्री भगवते साम्बसदाशिवाय नम:, मंत्र पुष्पांजलि समर्पयामि। (फूल चढ़ा दें)
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	इसके बाद प्रदक्षिणा करें, प्रदक्षिणा के बाद क्षमा-प्रार्थना करें।
	 
	आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्।
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	पूजां नैव हि जानामि क्षमस्त परमेश्वर।।
	 
	फिर विसर्जन, विसर्जन के बाद समर्पण जल छोड़ें।
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	अनेन शिवपूजकर्मणा श्री यज्ञस्वरूप: शिव: प्रीयताम् न मम। पूजन कर्म समाप्त करें।
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	विशेष- उपरोक्त पूजन संक्षिप्त में घर पर ही प्रतिदिन कर सकते हैं। पूजन करने से पहले समस्त सामग्री अपने पास रख लें, जैसे आरती की थाली, दीपक, अगरबत्ती, फूल, फूलमाला, पंचामृत, शुद्ध जल, घी, शहद, धतूरा, दूर्वा, कुशा आदि। पूजन करते समय पूर्ण ध्यान दें। शिवजी अवश्य आपकी मनोकामना पूर्ण करेंगे।
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	(संक्षिप्त पूजन के लिए घर में रखे शिवलिंग का भी पूजन कर सकते हैं।)