Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

सिंधारा दोज कब है, क्या करते हैं इस दिन

Advertiesment
हमें फॉलो करें सिंधारा दोज कब है, क्या करते हैं इस दिन
, बुधवार, 27 जुलाई 2022 (08:26 IST)
Sindhara Dooj: श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन सिंधारा दौज या सिंधारा दूज का पर्व मनाया जाता है। यह पर्व चैत्र माह में भी आता है। इस बार अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 30 जुलाई 2022 शनिवार के दिन यह व्रत रखा जाएगा। इस दिन के दूसरे दिन हरियाली तीज रहती है। आओ जानते हैं कि इस दिन क्या खास कार्य करते हैं।
 
 
1. द्वितीया तिथि : द्वितीया तिथि को सुमंगल कहा जाता है जिसके देवता ब्रह्मा है। यह तिथि भद्रा संज्ञक तिथि है। भाद्रपद में यह शून्य संज्ञक होती है। सोमवार और शुक्रवार को मृत्युदा होती है। बुधवार के दिन दोनों पक्षों की द्वितीया में विशेष सामर्थ आ जाती है और यह सिद्धिदा हो जाती है, इसमें किए गए सभी कार्य सफल होते हैं। द्वितीया को छोटा बैंगन व कटहल खाना निषेध है।
 
2. गौरी पूजा : सिंधारा दूज को सौभाग्य दूज, गौरी द्वितिया या स्थान्य वृद्धि के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की भी पूजा की जाती है। शाम में, देवी को मिठाई और फूल अर्पण कर श्रद्धा के साथ गौरी पूजा की जाती है। 
 
3. क्यों रखते हैं व्रत : महिलाएं यह व्रत अपने पति की लंबी उम्र की कामना और संपूर्ण परिवार के स्वास्थ्य की कामना से करती हैं।
 
4. बहुओं का त्योहार : मुख्य रूप से यह बहुओं का त्योहार है। इस दिन सास अपनी बहुओं को भव्य उपहार प्रस्तुत करती हैं, जो अपने माता-पिता के घर में इन उपहारों के साथ आते हैं। सिंधारा दूज के दिन, बहूएं अपने माता-पिता द्वारा दिए गए 'बाया' लेकर अपने ससुराल वापस आ जाती हैं। 'बाया' में फल, व्यंजन और मिठाई और धन शामिल होता है। शाम को गौर माता या देवी पार्वती की पूजा करने के बाद, वह अपनी सास को यह 'बाया' भेंट करती हैं। सिंधारा दूज के दिन लड़कियां अपने मायके जाती हैं और इस दिन बेटियां मायके से ससुराल भी आती हैं। मायके से बाया लेकर बेटियां ससुराल आती हैं। तीज के दिन शाम को देवी पार्वती की पूजा करने के बाद बाया को सास को दे दिया जाता है।
 
5. श्रृंगार करती है महिलाएं: इस दिन व्रतधारी महिलाएं पारंपरिक पोशाक भी पहनती हैं। हाथों में मेहंदी लगाती हैं और आभूषण पहनती हैं। इस दिन महिलाएं एक-दूसरे के साथ उपहारों का आदान-प्रदान करती हैं। चूड़ीयां इस उत्सव का का खास अंग है। वास्तव में, नई चूड़ीयां खरीदना और अन्य महिलाओं को चूड़ीयों का उपहार देना भी इस उत्सव की एक दिलचस्प परंपरा है।
 
6. झूला झूलती हैं महिलाएं : सिंधारा दूज के दिन ही सावन के झूले भी पड़ते हैं। महिलाएं झूले झूलते हुए गाने गाती हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

हरियाली तीज के दिन करते हैं ये 6 कार्य