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राजसी ठाठ बाट में निकलेगी बाबा महाकाल की सवारी, दर्शन को उमड़ेगा आस्था का सैलाब

राजाधिराज महाकाल की दूसरी सवारी, जानें खास जानकारी

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WD Feature Desk

, सोमवार, 21 जुलाई 2025 (09:57 IST)
Mahakal Palki Sawari Ujjain: आज, 21 जुलाई 2025, सोमवार को सावन मास की दूसरी महाकाल सवारी उज्जैन में निकलेगी। यह दिन भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इस बार सावन के दूसरे सोमवार को कामिका एकादशी का भी दुर्लभ संयोग बन रहा है, जिससे भगवान शिव और भगवान विष्णु दोनों की कृपा एक साथ प्राप्त होगी।ALSO READ: पृथ्वी की नाभि पर स्थित है यह दिव्य ज्योतिर्लिंग जहां काल भी मान लेता है हार, जानिए महाकालेश्वर के अद्भुत रहस्य
 
धार्मिक महत्व: सावन के सोमवार पर महाकाल की सवारी के दर्शन करना अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि स्वयं भगवान शिव नगर का भ्रमण कर अपनी प्रजा का हाल जानते हैं और उन्हें आशीर्वाद देते हैं। इस दिन बाबा के दर्शन से सभी कष्ट दूर होते हैं, मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
 
उज्जैन महाकाल की दूसरी सवारी आज: 
 
1. सवारी का स्वरूप: दूसरी सवारी में बाबा महाकाल श्री चंद्रमोलेश्वर स्वरूप में पालकी में विराजमान होकर नगर भ्रमण पर निकलेंगे। यह स्वरूप भगवान शिव के मस्तक पर विराजमान चंद्रमा का प्रतीक है और चंद्र दोष का निवारण करने वाला माना जाता है। इस बार की सवारी में सांस्कृतिक लोकनृत्य थीम भी शामिल की जा रही है, जिसमें विभिन्न आदिवासी और लोकनृत्य दल अपनी भव्य प्रस्तुति देंगे। बाबा महाकाल की सवारी मंदिर प्रांगण से प्रारंभ होती है, हालांकि भक्तों का हुजूम सुबह से ही उमड़ने लगता है।ALSO READ: सावन में महाकाल के दर्शन करने से पहले 7 बातें जान लेना है बहुत जरूरी, वर्ना दर्शन का नहीं मिलेगा लाभ
 
2. सवारी मार्ग: सवारी महाकालेश्वर मंदिर से शुरू होकर निर्धारित पारंपरिक मार्ग से आगे बढ़ती है, जिसमें प्रमुख रूप से महाकाल चौराहा, बक्षी बाजार, रामघाट (शिप्रा नदी पर अभिषेक के लिए), और फिर विभिन्न बाजारों से होते हुए वापस महाकाल मंदिर पहुंचती है। रामघाट पर शिप्रा नदी के पवित्र जल से बाबा का अभिषेक और पूजन किया जाता है। सवारी का कुल मार्ग लगभग 6 किलोमीटर लंबा होता है।
 
महाकाल की दूसरी सवारी की विशेषता:
- पालकी में दर्शन: बाबा महाकाल पालकी में बैठकर अपने भक्तों का हाल जानने के लिए नगर भ्रमण पर निकलते हैं। भक्त इस दौरान अपने आराध्य के दिव्य दर्शन प्राप्त करते हैं।
 
- भक्तों का उत्साह: सवारी मार्ग पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु उमड़ते हैं। भक्त ढोल-नगाड़ों, जयकारों और भजन-कीर्तन के साथ बाबा का स्वागत करते हैं।
 
- सुरक्षा व्यवस्था: प्रशासन और पुलिस द्वारा सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाते हैं ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी न हो।
 
- सांस्कृतिक झलक: इस बार की दूसरी सवारी में मध्य प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से आए आदिवासी और लोकनृत्य दल अपनी पारंपरिक प्रस्तुतियों से सवारी को और भी आकर्षक बनाएंगे।
 
- आज कामिका एकादशी का भी संयोग होने से यह दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु दोनों की कृपा एक साथ प्राप्त करने का दुर्लभ अवसर है, जिससे इस सवारी का महत्व और भी बढ़ जाता है।ALSO READ: सावन सोमवार 2025 में उज्जैन महाकाल सवारी कब कब निकलेगी

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