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सावन में भोलेनाथ के इन 5 तीर्थों पर होता है भव्य मेलों का आयोजन, लगता है शिव भक्तों का तांता

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WD Feature Desk

, शुक्रवार, 4 जुलाई 2025 (17:57 IST)
Top 5 famous Sawan Melas in India: भोलेनाथ के भक्तों के लिए सावन का महीना किसी उत्सव से कम नहीं होता। चारों ओर शिव भक्ति का रंग छाया रहता है, हर-हर महादेव के जयकारों से वातावरण गुंजायमान रहता है। इस पवित्र महीने में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। भारत भर में कई ऐसे प्राचीन और पावन शिव तीर्थ हैं, जहाँ सावन के दौरान भव्य मेलों का आयोजन होता है और शिव भक्तों का तांता लगा रहता है। आइए जानते हैं ऐसे ही 5 प्रमुख शिव धामों के बारे में, जहाँ सावन में भक्ति का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है।

1. हरिद्वार का सावन मेला:
गंगा किनारे बसा हरिद्वार, सावन में शिव भक्ति का सबसे बड़ा केंद्र बन जाता है। यहाँ लगने वाला हरिद्वार का सावन मेला पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। लाखों की संख्या में कांवड़िए, जिन्हें भोले के भक्त कहते हैं, यहाँ गंगाजल लेने आते हैं। भगवा वस्त्र धारण किए, कंधे पर कांवड़ लेकर "बम-बम भोले" और "हर-हर महादेव" का जयकारा लगाते हुए कांवड़िए उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के विभिन्न शिव मंदिरों की ओर प्रस्थान करते हैं। यह दृश्य अपने आप में अद्भुत होता है, जो अटूट आस्था और भक्ति का प्रतीक है। हरिद्वार में गंगा आरती का नजारा भी सावन में और भी दिव्य हो जाता है।

2. काशी का सावन उत्सव:
भगवान शिव की प्रिय नगरी, वाराणसी जिसे काशी भी कहते हैं, सावन में पूरी तरह शिवमय हो जाती है। काशी का सावन उत्सव अपनी भव्यता और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है। बाबा विश्वनाथ के दरबार में दर्शन के लिए भक्तों की लंबी-लंबी कतारें लगती हैं। सावन के सोमवार को यहाँ विशेष पूजा-अर्चना और अभिषेक किया जाता है। शाम को दशाश्वमेध घाट पर होने वाली गंगा आरती का नजारा सावन में और भी अलौकिक हो उठता है। काशी की गलियों में शिव भजन और मंत्र गूंजते रहते हैं, जो मन को असीम शांति प्रदान करते हैं।
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3. सोमनाथ मंदिर में भी रहता है उत्सव का माहौल:
गुजरात के सौराष्ट्र तट पर स्थित पहला ज्योतिर्लिंग, सोमनाथ मंदिर, सावन में विशेष रूप से जगमगा उठता है। सोमनाथ मंदिर में भी रहता है उत्सव का माहौल। दूर-दूर से भक्त यहाँ आकर सोमनाथ महादेव के दर्शन करते हैं और उन पर जल चढ़ाते हैं। सावन के प्रत्येक सोमवार को विशेष श्रृंगार और अभिषेक किया जाता है। मंदिर परिसर में भजन-कीर्तन और धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन होता है, जो भक्तों को आध्यात्मिकता से सराबोर कर देते हैं। अरब सागर की लहरों के बीच स्थित यह मंदिर सावन में अपनी दिव्यता के चरम पर होता है।

4. देवघर का श्रावणी मेला है:
झारखंड के देवघर में स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम, भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। देवघर का श्रावणी मेला एक महीने तक चलने वाला सबसे बड़ा और सबसे पवित्र मेला है। बिहार के सुल्तानगंज से गंगाजल भरकर, 100 किलोमीटर से अधिक पैदल चलकर कांवड़िए यहाँ बाबा बैद्यनाथ को जल चढ़ाने आते हैं। यह यात्रा बहुत कठिन होती है, लेकिन भक्तों की आस्था उन्हें चलने की शक्ति प्रदान करती है। इस मेले में लाखों लोग भाग लेते हैं और पूरा देवघर शिव भक्तों से भरा रहता है। यहाँ का "श्रावणी मेला" सिर्फ एक मेला नहीं, बल्कि एक महापर्व है।

5. ओंकारेश्वर में सावन की धूम:
मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी के तट पर स्थित ओंकारेश्वर, भगवान शिव के दो ज्योतिर्लिंगों में से एक है। सावन में ओंकारेश्वर में सावन की धूम देखते ही बनती है। यहाँ नर्मदा नदी में स्नान कर भक्त ओंकारेश्वर और ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करते हैं। सावन के प्रत्येक सोमवार को यहाँ विशेष पालकी यात्रा निकाली जाती है और भगवान शिव का भव्य श्रृंगार किया जाता है। ओंकारेश्वर का प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक माहौल सावन में भक्तों को मंत्रमुग्ध कर देता है।

सावन का महीना इन सभी तीर्थों पर एक नई ऊर्जा और उत्साह भर देता है। यदि आप भी भोलेनाथ के भक्त हैं, तो सावन में इन पवित्र स्थानों की यात्रा करके शिव कृपा प्राप्त कर सकते हैं। इन मेलों और उत्सवों में शामिल होकर आप भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता के अनूठे रंग का अनुभव कर सकते हैं।

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