Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

केतु ग्रह के लिए पूजें कर्केटेश्वर महादेव को

22वें महादेव लिंग कर्केटेश्वर (केतु ग्रह आधिपत्य)

हमें फॉलो करें केतु ग्रह के लिए पूजें कर्केटेश्वर महादेव को

ज्योतिर्विद सीता शर्मा

पौराणिक कथा : स्कंदपुराण के अवंतिखण्ड में बृहत कल्प में राजा धर्ममूर्ति हुए। वे राज इन्द्र के मित्र थे। उनकी चारों ओर कीर्ति थी। हजारों दानवों का नाश किया था।

चन्द्र, सूर्य आदि देवता भी उनके सामने कांतिहीन थे। उनमें ऐसी शक्ति थी कि इच्छानुसार शरीर बना लेते थे, दस हजार रानियों में से एक भानुमति त्रिलोक सुंदरी थी। एक बार मुनि वशिष्ठ ने राजा को बताया कि उनकी उक्त लक्ष्मी स्वरूपा पत्नी पूर्वजन्म में महादुष्ट थी। तुम स्वयं भी क्रोधी तथा अहंकारी थे। तुम्हें मौत के 40 वर्ष बाद तांबे के पात्र में जलाया गया।

पाप का अंश बचने पर केकड़े के रूप में पृथ्वी पर भेजा गया। महाकाल वन में स्थित रूद्रसागर में तुम केकड़े के रूप में रहने लगे। 4 वर्ष रहने के बाद एक दिन तुम सागर से बाहर निकलें तभी एक कौए ने तुम्हे चोंच में उठाया और ले उड़ा। तुम्हारी छटपटाहट से परेशान हो, उसने तुम्हें आकाश में ही छोड़ दिया। तुम स्वर्गद्वारेश्वर मंदिर के समीप एक शिवलिंग के पास गिरे। तुमने अपनी देह वहीं छोड़ दी। तब तुम विद्याधरों के राजा हुए।

स्वर्ग जाते वक्त तुम्हें केकड़ा योनि से मुक्त होने पर शिवगणों ने शिवलिंग का नाम शिव कर्केटेश्वर रखा। यह मंदिर उज्जैन में खटीकवाड़ा क्षेत्र में है।

विशेष- कृष्ण पंचमी व चौदस, अमावस्या को पूजन और अभिषेक से अभिष्ट फल की प्राप्ति होती है व श्रावण मास में केतु ग्रह की शांति के लिए इनका रूद्राभिषेक करने से विशेष फल प्राप्त होता है।

दान- कंबल, तिल, चीनी।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi