Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(तृतीया तिथि)
  • तिथि- मार्गशीर्ष कृष्ण तृतीया
  • शुभ समय- 6:00 से 7:30 तक, 9:00 से 10:30 तक, 3:31 से 6:41 तक
  • व्रत/मुहूर्त-भद्रा/सर्वार्थसिद्धि योग
  • राहुकाल-प्रात: 7:30 से 9:00 बजे तक
webdunia
Advertiesment

बैसाखी कब है, कैसे मनाते हैं यह पर्व?

बैसाखी खालसा पंथ की स्थापना का दिन

हमें फॉलो करें बैसाखी कब है, कैसे मनाते हैं यह पर्व?

WD Entertainment Desk

, बुधवार, 10 अप्रैल 2024 (13:02 IST)
Baisakhi Festival 2024
 
HIGHLIGHTS
 
• बैसाखी क्यों मनाते हैं।
• बैसाखी को मनाने की परंपरा क्या है।
• इसी दिन हुई थी खालसा पंथ की स्थापना।
vaishakhi 2024: बैसाखी पंजाबी समुदाय का खास पर्व है, जो हर साल 13 अप्रैल या 14 अप्रैल को मनाया जाता है। सिख धर्म का यह खास त्योहार बैसाखी नई फसल आने की खुशी में मनाया जाता है। बैसाखी के अवसर पर नए वस्त्र पहन कर भांगड़ा और गिद्दा नृत्य करते हुए खुशियां मनाई जाती हैं। साथ ही खालसा पंथ की स्थापना दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। 
 
कब है बैसाखी : अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार हर साल बैसाखी पर्व 13 अप्रैल को मनाया जाता है, जिसे देश के भिन्न-भिन्न भागों में रहने वाले सभी धर्मपंथ के लोग अलग-अलग तरीके से मनाते हैं। हिंदू पंचांग कैलेंडर के अनुसार कभी-कभी यह त्योहार 13 और 14 तारीख को भी पड़ता है। इस वर्ष बैसाखी का पर्व 13 अप्रैल 2024, दिन शनिवार को मनाया जाएगा। 
 
भारत त्योहारों का देश है, यहां कई धर्मों को मानने वाले लोग रहते है और सभी धर्मों के अपने-अपने त्योहार है। बैसाखी पंजाब और आसपास के प्रदेशों का सबसे बड़ा त्योहार है। बैसाखी पर्व को सिख समुदाय नव वर्ष के रूप में मनाते हैं। बैसाखी एक राष्ट्रीय त्योहार भी माना गया है, जो भारतभर में सभी जगहों पर यह मनाया जाता है। 
 
बैसाखी यह नाम वैशाख से बना है। बैसाखी मुख्यत: कृषि पर्व है जिसे दूसरे नाम से 'खेती का पर्व' भी कहा जाता है। यह पर्व किसान फसल काटने के बाद नए साल की खुशियां के रूप में मानते हैं। यह पर्व रबी की फसल के पकने की खुशी का प्रतीक है। 
 
कैसे मनाते हैं यह पर्व : उत्तर भारत में विशेषकर पंजाब बैसाखी पर्व को बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाता है। ढोल-नगाड़ों की थाप पर युवक-युवतियां प्रकृति के इस उत्सव का स्वागत करते हुए गीत गाते हैं, एक-दूसरे को बधाइयां देकर अपनी खुशी का इजहार करते हैं और झूम-झूमकर नाच उठते हैं। अत: बैसाखी आकर पंजाब के युवा वर्ग को याद दिलाती है, उस भाईचारे की जहां माता अपने 10 गुरुओं के ऋण को उतारने के लिए अपने पुत्र को गुरु के चरणों में समर्पित करके सिख बनाती थी।
 
खालसा पंथ की नींव का दिन: सन् 1699 में सिखों के 10वें गुरु, गुरु गोविंद सिंह ने बैसाखी के दिन ही आनंदपुर साहिब में खालसा पंथ की नींव रखी थी। इसका 'खालसा' खालिस शब्द से बना है जिसका अर्थ शुद्ध, पावन या पवित्र होता है। खालसा पंथ की स्थापना के पीछे गुरु गोविंद सिंह का मुख्य लक्ष्य लोगों को तत्कालीन मुगल शासकों के अत्याचारों से मुक्त कर उनके धार्मिक, नैतिक और व्यावहारिक जीवन को श्रेष्ठ बनाना था। 
 
इस पंथ के द्वारा गुरु गोविंद सिंह ने लोगों को धर्म और जाति के आधार पर भेदभाव छोड़कर इसके स्थान पर मानवीय भावनाओं को आपसी संबंधों में महत्व देने की भी दृष्टि दी। इस कृषि पर्व की आध्यात्मिक पर्व के रूप में भी काफी मान्यता है। उल्लास और उमंग का यह पर्व बैसाखी अप्रैल माह के 13 या 14 तारीख को जब सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है, तब मनाया जाता है। यह केवल पंजाब में ही नहीं, बल्कि उत्तर भारत के अन्य प्रांतों में भी उल्लास के साथ मनाया जाता है। 
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।


Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

नीचभंग राजयोग क्या होता है, क्या है उसका प्रभाव?