* पूरे देश में श्रद्धालु गुरुद्वारों में अरदास के लिए इकट्ठे होते हैं। मुख्य समारोह आनंदपुर साहिब में होता है, जहां पंथ की नींव रखी गई थी।
* सुबह 4 बजे गुरु ग्रंथ साहिब को समारोहपूर्वक कक्ष से बाहर लाया जाता है।
* दूध और जल से प्रतीकात्मक स्नान करवाने के बाद गुरु ग्रंथ साहिब को तख्त पर बैठाया जाता है। इसके बाद पंच प्यारे 'पंचबानी' गाते हैं।
* दिन में अरदास के बाद गुरु को कड़ा प्रसाद का भोग लगाया जाता है।
* प्रसाद लेने के बाद सब लोग 'गुरु के लंगर' में शामिल होते हैं।
* श्रद्धालु इस दिन कारसेवा करते हैं।
* दिनभर गुरु गोविंदसिंह और पंच प्यारों के सम्मान में शबद् और कीर्तन गाए जाते हैं।
* इस दिन पंजाब का परंपरागत नृत्य भांगड़ा और गिद्दा किया जाता है।
* शाम को आग के आसपास इकट्ठे होकर लोग नई फसल की खुशियां मनाते हैं।