26 December Veer Bal Diwas 2022: 6 दिसंबर को गुरु गोविंद सिंह जी के साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह के बलिदान की स्मृति में वीर बाल दिवस (26 December Veer Bal Diwas) मनाया जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के बाद पहली बार यह दिवस मनाया जाने लगा है। आओ जानते हैं हरदीप कौर की कलम से दोनों साहिबजादों की वीरता की संक्षिप्त कहानी।
आनंदपुर छोड़ते समय सरसा नदी पार करते हुए गुरु गोबिंद सिंह जी का पूरा परिवार बिछुड़ गया। माता गुजरी जी और दो छोटे पोते साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह के साथ गुरु गोबिंद सिंह जी एवं उनके दो बड़े भाइयों से अलग-अलग हो गए। सरसा नदी पार करते ही गुरु गोबिंद सिंह जी पर दुश्मनों की सेना ने हमला बोल दिया।
चमकौर के इस भयानक युद्ध में गुरुजी के दो बड़े साहिबजादों ने शहादतें प्राप्त कीं। साहिबजादा अजीत सिंह को 17 वर्ष एवं साहिबजादा जुझार सिंह को 15 वर्ष की आयु में गुरुजी ने अपने हाथों से शस्त्र सजाकर धर्मयुद्ध भूमि में भेजा था।
सरसा नदी पर बिछुड़े माता गुजरीजी एवं छोटे साहिबजादे जोरावर सिंह जी 7 वर्ष एवं साहिबजादा फतेह सिंह जी 5 वर्ष की आयु में गिरफ्तार कर लिए गए।
उन्हें सरहंद के नवाब वजीर खाँ के सामने पेश कर माताजी के साथ ठंडे बुर्ज में कैद कर दिया गया और फिर कई दिन तक नवाब और काजी उन्हें दरबार में बुलाकर धर्म परिवर्तन के लिए कई प्रकार के लालच एवं धमकियां देते रहे।
दोनों साहिबजादे गरज कर जवाब देते, 'हम अकाल पुर्ख (परमात्मा) और अपने गुरु पिताजी के आगे ही सिर झुकाते हैं, किसी ओर को सलाम नहीं करते। हमारी लड़ाई अन्याय, अधर्म एवं जुल्म के खिलाफ है। हम तुम्हारे इस जुल्म के खिलाफ प्राण दे देंगे लेकिन झुकेंगे नहीं।' अत: वजीर खां ने उन्हें जिंदा दीवारों में चिनवा दिया।
साहिबजादों की शहीदी के पश्चात बड़े धैर्य के साथ ईश्वर का शुक्रिया अदा करते हुए माता गुजरीजी ने अरदास की एवं अपने प्राण त्याग दिए। तारीख 26 दिसंबर, पौष के माह में संवत् 1761 को गुरुजी के प्रेमी सिखों द्वारा माता गुजरीजी तथा दोनों छोटे साहिबजादों का सत्कारसहित अंतिम संस्कार कर दिया गया।