Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

नागा साधुओं की यह 13 विचित्र जानकारियां आप नहीं जानते हैं

हमें फॉलो करें नागा साधुओं की यह 13 विचित्र जानकारियां आप नहीं जानते हैं
सिंहस्थ में नागा साधुओं की लोकप्रियता है। संन्यासी संप्रदाय से जुड़े साधुओं का संसार और गृहस्थ जीवन से कोई लेना-देना नहीं होता। गृहस्थ जीवन जितना कठिन होता है उससे सौ गुना ज्यादा कठिन नागाओं का जीवन है। 



 
यहां प्रस्तुत है नागा से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी
 
1. नागा अभिवादन मंत्र : ॐ नमो नारायण। 

2. नागा का ईश्वर : शिव के भक्त नागा साधु शिव के अलावा किसी को भी नहीं मानते।

3. नागा वस्तुएं : त्रिशूल, डमरू, रुद्राक्ष, तलवार, शंख, कुंडल, कमंडल, कड़ा, चिमटा, कमरबंध या कोपीन, चिलम, धुनी के अलावा भभूत आदि।

4. नागा का कार्य : गुरु की सेवा, आश्रम का कार्य, प्रार्थना, तपस्या और योग क्रियाएं करना।


5. नागा दिनचर्या : नागा साधु सुबह चार बजे बिस्तर छोडऩे के बाद नित्य क्रिया व स्नान के बाद श्रृंगार पहला काम करते हैं। इसके बाद हवन, ध्यान, बज्रोली, प्राणायाम, कपाल क्रिया व नौली क्रिया करते हैं। पूरे दिन में एक बार शाम को भोजन करने के बाद ये फिर से बिस्तर पर चले जाते हैं।

6. सात अखाड़े ही बनाते हैं नागा : संतों के तेरह अखाड़ों में सात संन्यासी अखाड़े ही नागा साधु बनाते हैं:- ये हैं जूना, महानिर्वणी, निरंजनी, अटल, अग्नि, आनंद और आवाहन अखाड़ा।

webdunia



7. नागा इतिहास : सबसे पहले वेद व्यास ने संगठित रूप से वनवासी संन्यासी परंपरा शुरू की। उनके बाद शुकदेव ने, फिर अनेक ऋषि और संतों ने इस परंपरा को अपने-अपने तरीके से नया आकार दिया। बाद में शंकराचार्य ने चार मठ स्थापित कर दसनामी संप्रदाय का गठन किया। बाद में अखाड़ों की परंपरा शुरू हुई। पहला अखाड़ा अखंड आह्वान अखाड़ा’ सन् 547 ई. में बना।

8. नाथ परंपरा : माना जाता है कि नाग, नाथ और नागा परंपरा गुरु दत्तात्रेय की परंपरा की शाखाएं है। नवनाथ की परंपरा को सिद्धों की बहुत ही महत्वपूर्ण परंपरा माना जाता है। गुरु मत्स्येंद्र नाथ, गुरु गोरखनाथ साईनाथ बाबा, गजानन महाराज, कनीफनाथ, बाबा रामदेव, तेजाजी महाराज, चौरंगीनाथ, गोपीनाथ, चुणकरनाथ, भर्तृहरि, जालन्ध्रीपाव आदि। घुमक्कड़ी नाथों में ज्यादा रही।


9. नागा उपाधियां : चार जगहों पर होने वाले कुंभ में नागा साधु बनने पर उन्हें अलग अलग नाम दिए जाते हैं। इलाहाबाद के कुंभ में उपाधि पाने वाले को 1.नागा, उज्जैन में 2.खूनी नागा, हरिद्वार में 3.बर्फानी नागा तथा नासिक में उपाधि पाने वाले को 4.खिचडिया नागा कहा जाता है। इससे यह पता चल पाता है कि उसे किस कुंभ में नागा बनाया गया है।

10. नागाओं के पद : नागा में दीक्षा लेने के बाद साधुओं को उनकी वरीयता के आधार पर पद भी दिए जाते हैं। कोतवाल, पुजारी, बड़ा कोतवाल, भंडारी, कोठारी, बड़ा कोठारी, महंत और सचिव उनके पद होते हैं। सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण पद सचिव का होता है।

webdunia




11. कठिन परीक्षा : नागा साधु बनने के लिए लग जाते हैं 12 वर्ष। नागा पंथ में शामिल होने के लिए जरूरी जानकारी हासिल करने में छह साल लगते हैं। इस दौरान नए सदस्य एक लंगोट के अलावा कुछ नहीं पहनते। कुंभ मेले में अंतिम प्रण लेने के बाद वे लंगोट भी त्याग देते हैं और जीवन भर यूं ही रहते हैं।

12. नागाओं की शिक्षा और ‍दीक्षा : नागा साधुओं को सबसे पहले ब्रह्मचारी बनने की शिक्षा दी जाती है। इस परीक्षा को पास करने के बाद महापुरुष दीक्षा होती है। बाद की परीक्षा खुद के यज्ञोपवीत और पिंडदान की होती है जिसे बिजवान कहा जाता है।
अंतिम परीक्षा दिगम्बर और फिर श्रीदिगम्बर की होती है। दिगम्बर नागा एक लंगोटी धारण कर सकता है, लेकिन श्रीदिगम्बर को बिना कपड़े के रहना होता है। श्रीदिगम्बर नागा की इन्द्री तोड़ दी जाती है।

13. कहां रहते हैं नागा साधु : नाना साधु अखाड़े के आश्रम और मंदिरों में रहते हैं। कुछ तप के लिए हिमालय या ऊंचे पहाड़ों की गुफाओं में जीवन बिताते हैं। अखाड़े के आदेशानुसार यह पैदल भ्रमण भी करते हैं। इसी दौरान किसी गांव की मेर पर झोपड़ी बनाकर धुनी रमाते हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

साध्वी त्रिकाल भवंता समाधि पर अड़ीं...!