कुंभ मेले में सूर्य एवं बृहस्पति का खास योगदान माना जाता है। सूर्य देव और गुरु (बृहस्पति) का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने पर ही कुंभ मेले को मनाने का स्थान और तिथि का चुनाव किया जाता है। इस ग्रह परिवर्तन अनुसार:-
1.हरिद्वार- जब सूर्य मेष राशि और बृहस्पति कुंभ राशि में आता है, तब यह धार्मिक आयोजन हरिद्वार में किया जाता है।
2.प्रयाग- जब बृहस्पति वृषभ राशि में प्रवेश करता है और सूर्य मकर राशि में होता है, तो यह उत्सव प्रयाग में मनाया जाता है।
3.नासिक- जब बृहस्पति और सूर्य का सिंह राशि में प्रवेश हो तो, यह महान कुंभ मेला महाराष्ट्र के नासिक में मनाया जाता है। इसके अलावा यदि बृहस्पति, सूर्य और चंद्रमा तीनों कर्क राशि में प्रवेश करें और साथ ही अमावस्या का समय हो, तब भी कुंभ नासिक में ही मनाया जाता है।
4.उज्जैन- जबकि अंत में कुंभ मेला उज्जैन में तब मनाया जाता है, जब बृहस्पति सिंह राशि में प्रवेश करे और सूर्य मेष राशि में प्रवेश कर रहा हो। उज्जैन में आयोजित कुंभ को सिंहस्थ कुंभ भी कहा जाता है। दरअसल सूर्य का सिंह राशि में प्रवेश होने के कारण ही मध्य प्रदेश के उज्जैन में मनाया जाने वाला कुंभ 'सिंहस्थ कुंभ' कहलाता है।