Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

दो बार 2-2 साल भराया था सिंहस्थ...

हमें फॉलो करें दो बार 2-2 साल भराया था सिंहस्थ...
, शनिवार, 2 अप्रैल 2016 (18:12 IST)
- आलोक अनु

यूं तो सिंहस्थ का पर्व 12 साल में एक बार आयोजित होने की जानकारी सभी को है लेकिन यह बहुत कम लोगों को पता होगा कि सिंहस्थ के इतिहास में ऐसा दौर भी आया जब 2 बार 2-2 साल तक शहर में कुंभ भराया और लोगों ने श्रद्धा के साथ पुण्य सलिला में स्नान किया। ये दुर्लभ घटनाएं भी इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं।
जानकारी के अनुसार श्री करपात्री एवं दंडीस्वामियों ने सन् 1956 में उज्जैन का सिंहस्थ मनाने का निर्णय लिया लेकिन षड्दर्शन अखाड़ों को यह निर्णय मान्य नहीं हुआ और उन्होंने सन् 1957 में सिंहस्थ करने को कहा। इस बात पर विवाद चला। उसके बाद दंडीस्वामियों ने 1956 में एवं षड्दर्शन अखाड़ों ने सन् 57 में सिंहस्थ का पर्व मनाया। 
 
इसी सिंहस्थ में शाही स्नान के जुलूस में जाने के विषय में 4 प्रमुख संन्यासी अखाड़ों- जूना, दत्त, महानिर्वाणी व निरंजनी ने 13 मई 1957 को शाही स्नान के लिए समझौता किया कि सबसे आगे दत्त अखाड़े का निशान फिर तीनों अनि अखाड़ों के निशान घोड़ों पर समान संस्थान के कर्मचारी, उनके पीछे नए उदासीन अखाड़े के साधु-संतों की गाड़ी, उनके पीछे उदासीन अखाड़े के साधु और उनके पीछे निर्मल अखाड़े के साधु रहेंगे।
 
स्नान के बाद भगवान की पालकी के मंदिर में वापस आते समय आगे निरंजनी और जूना अखाड़े के साधु फिर भगवान की पालकी, उसके पीछे निर्वाणी व अटल अखाड़ा फिर संस्थान कर्मचारी, बड़े उदासीन अखाड़े के साधु फिर नए उदासी अखाड़े के साधु और फिर निर्मल अखाड़े के साधु रहेंगे। 
 
इसी तरह सन् 1969 के उज्जयिनी सिंहस्थ को लेकर वैष्णव अनि अखाड़ों में विवाद उत्पन्न हो गया। वैष्णव अनि अखाड़ों ने सन् 1968 में कुंभ मनाया जबकि अन्य समस्त अखाड़ों ने सन् 1969 में सिंहस्थ का स्नान किया। मुख्य शाही स्नान वैशाख पूर्णिमा को 2 मई 1969 को हुआ।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi