Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

नाम हिटलर बाबा, खुराक आधा किलो भांग...

हमें फॉलो करें नाम हिटलर बाबा, खुराक आधा किलो भांग...
, शुक्रवार, 13 मई 2016 (19:09 IST)
-आलोक 'अनु'
उज्जैन। भोले की बूटी को शौकिया तौर पर ग्रहण करने वाले तो बहुत है, लेकिन इलाहाबाद से आए हिटलर बाबा ने भांग को इस हद तक अंगीकार कर लिया है कि अब आधा से सवा किलो भांग प्रतिदिन उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन गई है। खास बात यह है कि दिनभर में एक समय भोजन तो चार समय भांग खाने के बाद भी उसका नशा हिटलर बाबा को डिगा नहीं  पाता है।
अस्सी फुटा रोड पर एक छोटे से आश्रम में अन्य संतों के साथ रहने वाले माधवदास त्यागी उर्फ हिटलर बाबा दिखने में भले ही साधारण तपस्वी हैं, लेकिन जब अव्यवस्थाओं को लेकर उनका गुस्सा जलाल पर आता है तो झोन कार्यालय के अधिकारी भी उनसे खौफ खाते हैं।
 
अधिकांश समय अपने आश्रम में ईश्वर भक्ति, तप, योग और साधना में लीन रहने वाले हिटलर बाबा बाल्यकाल से ही भांग के प्रेमी हैं और भोले का यह प्रसाद अब उनके जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। हिटलर बाबा बताते हैं कि गर्मी में वे करीब आधा किलो भांग का सेवन प्रतिदिन करते हैं, जबकि ठंड और बारिश में इसकी मात्रा दुगनी से अधिक हो जाती है। सुबह, दोपहर, शाम और रात्रि में ईश्वर पूजा के बाद यह चार समय नित्य रूप से भांग प्रसादी लेते हैं। 
 
हैरान रह गया भक्त, जब गटकी 51 गोलियां :  बाबा के आश्रम में आए उनके एक भक्त सोमेश पांडे ने चर्चा में बताया कि दो दिन पहले जब वह बाबा को लेकर महाकाल दर्शन के लिए गए थे, तब समीप स्थित भांग की दुकान पर वह बाबा को लेकर गए तो बाबा ने भांग घोटा संचालक को सामने रखी भांग की 51 गोलियां छानने को कहा। बाबा की बात सुनकर ना केवल साथ आया उनका भक्त बल्कि भांग घोटा संचालक व उनके साथ मौजूद अन्य लोग भी हैरत में पड़ गए। हिटलर बाबा ने बोल बम नारे के साथ 51 गोलियों का प्रसाद कुछ ही पलों में निगल लिया।
 
मिलावट के डर से भक्तों से मंगवाते हैं प्रसाद : भांग में नशे के लिए नशे की गोलियां मिलाने व मात्रा बढ़ाने के लिए उसमें हरी पत्तियो को मिलाने का समाचार सुनने के बाद हिटलर बाबा बाहर की भांग का सेवन नही करते है। उनके भक्त उनके लिए सूखी भांग पिसवाकर ले आते हैं। उसी का सेवन बाबा प्रसाद के रूप में करते हैं।
 
अव्यवस्थाओं से नाराज हैं बाबा : प्रशासन से कुछ खास अपेक्षाएं नहीं, लेकिन सिंहस्थ के लिए साधु-संतों को आवश्यक सुविधाएं तो दी जानी चाहिए। इस बात को कहते कहते बाबा की भृकुटियां तन जाती हैं। हिटलर बाबा के कैम्प में पानी व शौचालय की समस्या अभी भी बनी हुई है। पिछले दिनों आए आंधी तूफान के बाद से तो कोई अधिकारी हाल पूछने भी नहीं आया है। उनका कहना है कि नासिक कुंभ में यहां से अच्छी सुविधाएं दी गई थीं। साधु-संत शासन के राशन पानी लेने के लिए मेले में नहीं आता है, उसे तो बस मूलभूत सुविधाएं मिल जाएं। पूरा मेला रामनाम लेते गुजर जाता है। उनकी मांग है कि कैंपों में पानी पर्याप्त दिया जाए।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

नाम के पहले अक्षर से जानिए कैसे हैं आप...