इंदौर। मध्यप्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में 22 अप्रैल से शुरू होने वाले सिंहस्थ मेले में लाखों श्रद्धालु हालांकि अपनी धार्मिक आस्था के मुताबिक शिप्रा में स्नान करेंगे, लेकिन इस नदी में हकीकत में 'नर्मदा का जल' बह रहा होगा।
इसकी वजह यह है कि शिप्रा अपने उद्गम से ही सूख चुकी है और करीब 432 करोड़ रुपए की लागत वाली परियोजना के जरिए इस नदी को नर्मदा के जल से जीवित किया गया है। प्रदेश सरकार के नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (एनवीडीए) ने दोनों नदियों (नर्मदा-शिप्रा) को सिंहस्थ लिंक परियोजना के जरिए जोड़ा है।
एनवीडीए के संयुक्त निदेशक आदिल खान ने बुधवार को बताया कि सिंहस्थ मेले के मद्देनजर हम इस परियोजना के चारों पंपिंग स्टेशनों को उनकी कुल 28,370 किलोवॉट की पूरी क्षमता से चला रहे हैं।
फिलहाल शिप्रा में हर सेकंड 5,000 लीटर नर्मदा जल प्रवाहित किया जा रहा है। शिप्रा नदी आमतौर पर गर्मियों में सूखकर नाले में तब्दील हो जाती है और इसका पानी आचमन के लायक भी नहीं रह जाता है।
इसके मद्देनजर साधु-संतों ने प्रदेश सरकार से मांग की थी कि वह सिंहस्थ मेले के दौरान शिप्रा में स्वच्छ जल छोड़कर इसे प्रवाहमान बनाए ताकि देश-विदेश से आने वाले लाखों श्रद्धालु इसमें अच्छी तरह स्नान कर सकें।
खान ने कहा कि हमने इसकी पूरी व्यवस्था की है कि महीनेभर चलने वाले सिंहस्थ मेले के दौरान शिप्रा में स्वच्छ जल की लगातार आपूर्ति होती रहेगी। नर्मदा-शिप्रा सिंहस्थ लिंक परियोजना 25 फरवरी 2014 को लोकार्पित हुई थी, तब से लेकर अब तक इसके जरिए शिप्रा में नर्मदा का तकरीबन 86.5 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी छोड़ा जा चुका है।
खान ने बताया कि नर्मदा-शिप्रा सिंहस्थ लिंक परियोजना के तहत नर्मदा नदी की ओंकारेश्वर सिंचाई परियोजना के खरगोन जिले स्थित सिसलिया तालाब से पानी लाकर इसे शिप्रा के प्राचीन उद्गम स्थल पर छोड़ा जा रहा है। यह जगह इंदौर जिले के उज्जैनी गांव की पहाड़ियों पर स्थित है हालांकि शिप्रा इस स्थल पर लुप्त नजर आती है।
उन्होंने बताया कि सिसलिया तालाब से उज्जैनी की दूरी लगभग 50 किलोमीटर है। यह जगह सिसलिया तालाब से 350 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। नर्मदा का जल उज्जैनी से करीब 112 किलोमीटर की दूरी तय कर अपनी स्वाभाविक रवानी के साथ उज्जैन के रामघाट पहुंच रहा है।
उज्जैन में 22 अप्रैल से 21 मई तक चलने वाले सिंहस्थ मेले में करीब 5 करोड़ श्रद्धालुओं के उमड़ने की उम्मीद है। उज्जैन में वर्ष 2004 में लगे पिछले सिंहस्थ मेले के दौरान गंभीर नदी पर बने बांध के पानी को शिप्रा में छोड़ा गया था। इसके साथ ही बड़े टैंकरों से शिप्रा में पानी डाला गया था। (भाषा)