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सिंहस्‍थ आज से : श्रद्धालुओं के स्वागत को आतुर 'उज्जयिनी'

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उज्जैन। मध्यप्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में शुक्रवार से शुरू होने वाले सिंहस्थ के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।
शुक्रवार से शुरू होकर 21 मई तक चलने वाले सिंहस्थ के दौरान देशभर से करोड़ों श्रद्धालुओं के यहां आने की संभावना है। सिंहस्थ के कल सुबह से शुरू होने वाले शाही स्नान के लिए देशभर से साधु-संत और नागा साधु यहां पहुंच चुके हैं।
 
हनुमान जयंती के मौके पर होने वाले पहले शाही स्नान के लिए पुलिस प्रशासन ने चप्पे-चप्पे पर कड़ी सुरक्षा की व्यवस्था की है। जिला एवं पुलिस प्रशासन ने सिंहस्थ की सुरक्षा व्यवस्था के लिए सम्पूर्ण मेला क्षेत्र एवं शहर में सशस्त्र सुरक्षाबल तैनात कर दिया है। 
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मेला क्षेत्र के दत्त अखाड़ा एवं मंगलनाथ में मेला क्षेत्र को जोड़ने वाली सड़कों पर बैरिकेडिंग कर दी गई है। कुछ मार्गों को एकांगी कर दिया गया है। शहर को जोड़ने वाले विभिन्न मार्गों पर वाहनों एवं लोगों की चैकिंग की जा रही है। रेलवे स्टेशन, बस स्टेंड सहित होटलों एवं धर्मशालाओं पर नजर रखी जा रही है। 
 
इस बार मेला क्षेत्र की निगरानी के लिए आधा दर्जन से अधिक पुलिस अधीक्षक के अलावा प्रदेश के 25 हजार से अधिक पुलिसकर्मियों एवं अधिकारियों को तैनात किया गया है। कुल 125 पाइंट पर 481 सीसीटीवी कैमरे और घाटों पर स्नान के दौरान 11 स्थानों पर विशेष निगरानी के लिए कैमरे लगाए हैं।
 
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, प्रदेश सरकार द्वारा सिंहस्थ के लिए अब तक 35 सौ करोड़ से अधिक की राशि विभिन्न निर्माण कार्यों पर खर्च की जा चुकी है। राज्य सरकार द्वारा मेट्रो सिटी जैसी सड़कें, चार फोरलेन, 141 करोड़ की लागत के चार रेलवे ओवरब्रिज तथा चार क्षिप्रा नदी पर पुल एवं पांच तैरने वाले पुल बनाए गए हैं। 
 
सिंहस्थ मेला क्षेत्र को छह जोन एवं 22 सेक्टरों में बांटा गया है। लगभग पांच हजार सफाईकर्मियों को मेला क्षेत्र में लगाया गया है। सिंहस्थ के दौरान दूसरा शाही स्नान अक्षय तृतीया पर नौ मई को और तीसरा 21 मई को होगा। सिंहस्थ के दौरान कुल 10 प्रस्तावित स्नान तिथियां हैं।
 
इस बार के सिंहस्थ का एक मुख्य आकर्षण किन्नर अखाड़ा है। इस अखाड़े की आज निकली पेशवाई में देशभर के हजारों किन्नर शामिल हुए। हालांकि इस अखाड़े को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने मान्यता नहीं दी है, लेकिन इसे मेला क्षेत्र में भूमि आवंटित की गई है। 
 
कुंभ स्नानों के लिए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की अहम भूमिका होती है। इसमें शैव एवं वैष्णव सम्प्रदाय के 13 अखाड़ों के संत प्रमुख रूप से शामिल होते हैं। (वार्ता)

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