उज्जैन। महाकालेश्वर की नगरी उज्जैन में 22 अप्रैल से 21 मई 2016 तक चलने वाले सिंहस्थ में 5 मई को आंधी और बारिश ने श्रद्धालुओं की मुश्किलें बढ़ा दीं। पंडाल गिरने से 7 लोगों की मौत हो गई, जबकि दर्जनों लोग घायल हो गए।
जब सिंहस्थ में फैली थी महामारी : सिंहस्थ और महाकुंभ जैसे आयोजनों में पहले भी कई हादसे होते रहे हैं। उज्जैन की ही बात करें तो सन् 1921 में सिंहस्थ कुंभ उज्जैन में 21 मई वैशाख पुर्णिमा पर शाही स्नान के दिन से महामारी का भयंकर प्रकोप हुआ था, जिसके कारण हजारों की संख्या में साधु-संत मारे गए थे।
शासन द्वारा तत्काल शहर खाली कराने का ऐलान किया गया था। तत्काल सभी को जो साधन मिला उसी से बाहर भेजा गया। पूरे शहर को खाली कराया गया और महामारी रोकने के इंतजाम किए गए।
बाद में महामारी से बचने के लिए आगामी सभी सिंहस्थों में केवल वैशाख शुक्ल पूर्णिमा को ही एक ही मुख्य स्नान मनाने का निर्णय लिया गया। सन 1980 के सिंहस्थ कुंभ में मुख्य शाही स्नान 30 अप्रैल को वैशाख पूर्णिमा के दिन था।
वैष्णव अनि अखाड़ों ने इस कुंभ में 3 शाही स्नान 13, 17 व 30 अप्रैल को करने की मांग की किंतु वैशाख पूर्णिमा पर एक ही शाही स्नान का निर्णय पूर्व से ही चला आ रहा था लिहाजा बहुत समझाने पर भी वैष्णव अनि अखाड़ों ने 3 शाही स्नान की जिद नहीं छोड़ी।
वैष्णव अखाड़े की इस जिद से प्रशासन भी नाराज हो गया और मेला प्रशासन ने 13 अप्रैल को धारा 144 लगाकर शहर में जुलूस निकालने पर पाबंदी लगा दी। इधर वैष्णव अखाड़ों ने भी पाबंदी तोड़कर अपने निशान के साथ घाट पर स्नान के लिए जाने की कोशिश की। बाद में प्रशासन ने अपनी जिद छोड़ी और अखाड़ों को 3 अलग-अलग घाटों पर जाकर साधारण रूप से स्नान करने की अनुमति दी।