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आंधी-तूफान के बाद सिंहस्थ में 'कला उत्सव' फिर शुरू

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उज्जैन , शनिवार, 7 मई 2016 (23:48 IST)
उज्जैन। मध्यप्रदेश के उज्जैन में चल रहे सिंहस्थ के 'कला उत्सव' में शनिवार को पुनः 5 मंचों पर सांस्कृतिक गतिविधियां शुरू हो गईं। 
       
यहां भरतमुनि मंच पर कला उत्सव का शुभारंभ भोपाल के रंगकर्मी प्रेम गुप्ता के निर्देशन में नाटक 'अंधेर नगरी' का मंचन किया गया। इसके बाद संस्कार मंच, उज्जैन द्वारा रामलीला प्रसंग में रामवनगमन प्रसंग का मंचन किया गया। 
         
मुम्बई की सुश्री हेमा उपासनी के भक्ति गायन, वंदे मातरम् संस्था, ग्वालियर द्वारा खूब लड़ी मर्दानी झांसी की रानी का मंचन हुआ। सभा का समापन भोपाल के भक्ति संगीत गायक रूपेश लाल के गायन से हुआ। त्रिवेणी संग्रहालय में 'कला उत्सव' का शुभारंभ सुश्री सुरभि कोल्हटकर के लोक गायन से हुआ। 
 
बाद में जबलपुर से आए विलास मण्डपे द्वारा साथी संगतकारों के साथ गायन की प्रस्तुति दी गई। इन्दौर की ओडिसी नृत्यांगना सुश्री डालिया दत्ता ने अपने साथी कलाकारों के साथ मनमोहक ओडिसी समूह नृत्य की प्रस्तुति दी। इसके बाद सुश्री रंजना टोनपे द्वारा गायन/भक्ति गायन की प्रस्तुति दी गई। 
       
सिंहस्थ मेला क्षेत्र के आगर रोड स्थित कालिदास मंच पर भोपाल की सुप्रतिष्ठित लोक गायिका सुश्री पूर्णिमा चतुर्वेदी, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, नई दिल्ली द्वारा संयोजित लोकेन्द्र त्रिवेदी के निर्देशन में नाटक महारथी का मंचन किया गया। इस मंच के माध्यम से गोरखपुर के रंगकर्मी विजित सिंह के निर्देशन में नाटक 'ओ री चिरैया' का मंचन किया गया। 
        
इसी प्रकार मेला क्षेत्र के सदावल स्थित भोज मंच पर पश्चिम बंगाल की सुश्री शम्पा मिश्रा एवं साथी कलाकारों द्वारा पदावली कीर्तन, त्रिपुरा की माधवी सिंह एवं उनके साथी कलाकारों द्वारा होजागिरी नृत्य, मणिपुर के बिन्दा साबी और उनके साथी कलाकारों द्वारा गौर लीला की मनमोहक प्रस्तुति, सिक्किम के तुलसी खनाल और उनके साथी कलाकारों द्वारा संगिनी/बालन नृत्य, झारखंड के रामचन्द्र मारडी और उनके साथी कलाकारों द्वारा सिंगरै नृत्य, सुश्री सीमांचल पाणिग्रही और उनके साथी कलाकारों द्वारा नाटक प्रहलाद की प्रस्तुति दी गई।
          
भर्तृहरि मंच, भूखीमाता पर पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, उदयपुर द्वारा विभिन्न राज्यों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गईं, जिसमें राजस्थान का धनगरी गजा नृत्य, महाराष्ट्र का मिश्र रास, गोवा का देखणी नृत्य, भावनगर का मीरा भजन जिसे श्री लक्ष्मण भांड एवं साथी कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किया गया। 
 
महाराष्ट्र के आदिवासी ढोल नृत्य, राजस्थान का कबीर वाणी, महराष्ट्र का भारूड़ गायन, राजस्थान का भपंग वादन एवं मेवाती लोक गीत तथा तेराताल नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति, गुजरात के मणिहारो रास एवं राठवा आदिवासी होली नृत्य, राजस्थान के कलाकार जितेन्द्र पाराशर एवं साथी कलाकारों द्वारा मयूर नृत्य, सागर के कलाकार कृष्ण गोपाल श्रीवास्तव द्वारा अपने साथी कलाकारों द्वारा भक्ति संगीत की प्रस्तुति दी गई। (वार्ता)

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