Sinhasan Battisi 22Th Story
अनुरोधवती नामक बाइसवीं पुतली ने जो कथा सुनाई वह इस प्रकार है-
राजा विक्रमादित्य अद्भुत गुणग्राही थे। वे सच्चे कलाकारों का बहुत अधिक सम्मान करते थे तथा स्पष्टवादिता पसंद करते थे। उनके दरबार में योग्यता का सम्मान किया जाता था। चापलूसी जैसे दुर्गुण की उनके यहां कोई कद्र नहीं थी। यही सुनकर एक दिन एक युवक उनसे मिलने उनके द्वार तक आ पहुंचा।
दरबार में महफिल सजी हुई थी और संगीत का दौर चल रहा था। वह युवक द्वार पर राजा की अनुमति का इंतज़ार करने लगा। वह युवक बहुत ही गुणी था। बहुत सारे शास्त्रों का ज्ञाता था। कई राज्यों में नौकरी कर चुका था। स्पष्टवक्ता होने के कारण उसके आश्रयदाताओं को वह धृष्ट नज़र आया, अत: हर जगह उसे नौकरी से निकाल दिया गया।