Solar eclipse 2024: 15 दिनों के अंतराल में चंद्र और सूर्य यानी 2 ग्रहणों से भारी संकट के संकेत
उपछाया चंद्र ग्रहण के बाद पूर्ण सूर्य ग्रहण से देश और दुनिया में होगी राजनीतिक उथल उथल
Effect of solar and lunar eclipse 2024: वाला है वर्ष का पहला खग्रास यानी पूर्ण सूर्य ग्रहण। इस ग्रहण के दौरान 2 अनोखी घटना घटेगी। पहली यह की आकाश में एवरेस्ट पर्वत से तीन गुना बढ़ा पी12 नाम का धूमकेतु दिखाई देगा और दूसरी ओर आप देख सकेंगे बृहस्पति और शुक्र ग्रहों को एक साथ। बृहस्पति सूर्य के उपर और शुक्र नीचे नजर आएगा। इस ग्रहण के चलते क्या होने वाला है जानते हैं ज्योतिष की गणना अनुसार।
खग्रास सूर्य ग्रहण 2024- khagras surya grahan 2024:-
दिनांक : 8 अप्रैल 2024 सोमवार को रहेगा खग्रास सूर्य ग्रहण।
समय : भारतीय समय के अनुसार रात 09:12 मिनट पर शुरू होगा और मध्यरात्रि में 01:25 बजे समाप्त होगा।
सूर्य ग्रहण की अवधि : सूर्य ग्रहण की कुल अवधि: 4 घंटे 25 मिनट रहेगी।
ग्रहण-नक्षत्र : यह ग्रहण मीन राशि और रेवती नक्षत्र में लगेगा।
भारत में दिखेगा या नहीं : यह ग्रहण भारत में नजर नहीं आएगा।
छा जाएगा अंधेरा : ग्रहण के दौरान एक ऐसा समय होगा जबकि साढ़े 7 मिनट के लिए पूरा अंधेरा छा जाएगा। सूर्य ग्रहण की इतनी लम्बी अवधि 50 सालों बाद लगने जा रही है।
दोनों ग्रहण का एक साथ प्रभाव : चंद्र ग्रहण का प्रभाव आप व्यक्ति पर आता है। सूर्य ग्रहण का प्रभाव राजा यानी सत्ता पर आता है। भारत में इसका प्रभाव उतना असरदार नहीं रहेगा लेकिन यह जहां नजर आएगा वहां इसका प्रभाव देखा जा सकता है। यदि 2 पूर्ण ग्रहण सूर्य और चंद्र ग्रहण यदि पास-पास पड़ रहे हैं तो ग्रहण के एक दिन पूर्व या बाद में भूकंप आने की संभावना बढ़ जाती है। इसी के साथ ही मानसिक बेचैनी के चलते मनुष्यों में आपसी लड़ाई भी बढ़ जाती है।
चंद्र ग्रहण का प्रभाव : चंद्र ग्रहण से भूकंप, तूफान और प्राकृतिक आपदाएं बढ़ती है। चंद्र ग्रहण का प्रभाव समुद्र और जल क्षेत्र पर अधिक होता है। साथ ही इससे सभी प्राणियों में मानसिक हलचल और बेचैनी बढ़ जाती है। चंद्र ग्रहण के दौरान समुद्री आपदाएं यानि पानी से संबंधित आपदाएं अधिक आती हैं।
सूर्य ग्रहण का प्रभाव : सूर्य ग्रहण का प्रभाव समुद्र को छोड़कर भूमि पर ज्यादा रहता है। इसके चलते आगजनी, पड़ाडों में भूस्खलन, ज्वालामूखी विस्फोट के साथ ही विद्रोह, आंदोलन और राजनीतिक उथल-पुथल बढ़ जाती है। कहते हैं कि सूर्य ग्रहण के आने के बाद धरती से जुड़ी आपदाएं आती हैं। समुद्र के जल के भीतर भी भूकंप आते हैं। सूर्य ग्रहण के कारण राजनीतिक उथल पुथल, विद्रोह, सामाजिक परिवर्तन, सत्ता परिवर्तन, बर्फ का पिघलना, क्लाइमेंट में बदलाव और लोगों की मानसिक स्थिति में बदलाव होता है।
ग्रहण से कैसे आते हैं भूकंप : ग्रहण के कारण वायुवेग बदल जाता है, धरती पर तूफान, आंधी का प्राभाव बढ़ जाता है। समुद्र में जल की गति भी बदल जाती है। ऐसे में धरती की भीतरी प्लेटों पर भी दबाव बढ़ता है और दबाव के चलते वे आपस में टकराती है। वराह मिहिर के अनुसार भूकंप आने के कई कारण है जिसमें से एक वायुवेग तथा पृथ्वी के धरातल का आपस में टकराना है।
40 दिनों के अंतराल में भूकंप : जब भी कोई ग्रहण पड़ता है या आने वाला रहता है तो उस ग्रहण के 40 दिन पूर्व तथा 40 दिन बाद अर्थात उक्त ग्रहण के 80 दिन के अंतराल में भूकंप कभी भी आ सकता है। कभी कभी यह दिन कम होते हैं अर्थात ग्रहण के 15 दिन पूर्व या 15 दिन पश्चात भूकंप आ जाता है।
कहां दिखाई देगा सूर्यग्रहण : यह सूर्य ग्रहण उत्तरी अमेरिका (अलास्का को छोड़कर), कनाडा, मध्य अमेरिका, दक्षिण अमेरिका के उत्तरी भागों में, आर्कटिक, मेक्सिको, पश्चिमी यूरोप, पेसिफिक, अटलांटिक, इंग्लैंड के उत्तर पश्चिम क्षेत्र में, आयरलैंड में दिखाई देगा। यह ग्रहण खासकर अमेरिका में ज्यादा दृश्यमान होगा।
सूतक काल : इस सूर्य ग्रहण का सूतक काल भारत में मान्य नहीं होगा, क्योंकि यह भारत में नजर नहीं आएगा, लेकिन जहां दिखाई देगा वहां सूतक काल मान्य होगा। सूर्य ग्रहण के 12 घंटे पूर्व ही सूतक काल प्रारंभ हो जाता है। अमेरिका में इस सूर्य ग्रहण का सूतक 8 मार्च की रात 2 बजकर 25 मिनट से मान्य हो जाएगा।