Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

Hybrid Solar Eclipse 2023: क्या होता है हाइब्रिड सूर्य ग्रहण? कितना है खतरनाक

हमें फॉलो करें Hybrid Solar Eclipse 2023: क्या होता है हाइब्रिड सूर्य ग्रहण? कितना है खतरनाक
, गुरुवार, 20 अप्रैल 2023 (12:31 IST)
Hybrid solar eclipse 2023 : सूर्य ग्रहण कई प्रकार के होते हैं, जैसे खग्रास, खंडग्रास, कंकणाकृति, वलयाकार और संकरित सूर्य ग्रहण। संकरित सूर्य ग्रहण को ही हाइब्रिड सूर्यग्रहण कहते हैं। वर्तमान में 20 अप्रैल 2023 को जो सूर्य ग्रहण हुआ है वह हाइब्रिड सूर्यग्रहण है। आओ जानते हैं कि हाइब्रिड सूर्यग्रहण क्या होता है और यह कितना खतरनाक प्रभाव देने वाला है।
 
कब होगा सूर्य ग्रहण:-
दिनांक : 20 अप्रैल 2023 गुरुवार को वर्ष का पहला सूर्य ग्रहण लगेगा।
समय : यह सुबह 7:04 से दोपहर 12:29 तक लगेगा।
अवधि : इस ग्रहण की कुल अवधि 5 घंटे 24 मिनट की रहने वाली है।
 
हाइब्रिड सूर्यग्रहण : 2023 का पहला सूर्य ग्रहण वैशाख अमावस्या को लगने वाला है। इस सूर्य ग्रहण को संकरित सूर्य ग्रहण कहा जा रहा है। संकरित अर्थात हाइब्रिड सूर्यग्रहण। यह एक दुर्लभ सूर्य ग्रहण माना जा रहा है। कुछ जगहों पर यह पूर्ण सूर्य ग्रहण, कुछ जगहों पर वलयाकार सूर्य ग्रहण और कुछ जगहों पर यह कुंडलाकार सूर्य ग्रहण के रूप में दिखाई देगा। इसीलिए इसे हाइब्रिड सूर्यग्रहण कहा जा रहा है।
 
पूर्ण अर्थात खग्रास सूर्य ग्रहण : इस सूर्य ग्रहण के बारे में बताया जा रहा है कि पृथ्वी के कुछ हिस्सों में पूर्ण सूर्य ग्रहण दिखाई देगा। कुछ हिस्सों में वलयाकार सूर्य ग्रहण दिखाई देगा। 
 
वलयाकार कंकणाकृति सूर्य ग्रहण : वलयाकार सूर्य ग्रहण उत्तरी प्रशान्त महासागर के कुछ हिस्सों से दिखाई देगा।
 
आंशिक सूर्य ग्रहण या खंडग्रास सूर्य ग्रहण : न्यूजीलैण्ड, ऑस्ट्रेलिया, फिलिपींस, थाईलैण्ड, इंडोनेशिया, प्रशांद महासागर, हिन्द महासागर, अंटार्कटिका के कुछ हिस्सों और दक्षिण-पूर्व एशिया में दिखाई देगा।
 
यह ग्रहण हिन्द महासागर, दक्षिण प्रशांत महासागर, चीन, ताइवान, मलेशिया, सिंगापुर, इंडोनेशिया, फिलिपींस, कंबोडिया, वियतनाम, थाईलैंड, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अंटार्कटिका, अमेरिका, जापान, फिजी, माइक्रोनेशिया, समोआ, सोलोमन, बरूनी, पापुआ न्यू गिनी में दिखाई देगा।
webdunia
कितना खतरनाक है यह सूर्य ग्रहण : यह सूर्य ग्रहण अग्नि तत्व की राशि मेष राशि और केतु के नक्षत्र अश्विनी नक्षत्र में लगा है जो कि एक दुर्लभ स्थिति है। मेष राशि में चार ग्रह पहले से ही विराजमान है जिसमें राहु, सूर्य, बुध और चंद्र है। माना जाता रहा है कि इस सूर्य ग्रहण से राजनीति के क्षेत्र में भारी उठा पटक होने वाली है। ऐसा माना जाता है कि सामान्यत: सूर्य ग्रहण का प्रभाव 40 दिन पहले और 40 दिन बाद तक बना रहता है।
 
ज्योतिष के अनुसार ग्रहण कहीं न कहीं अग्निकाण्ड बढ़ाने वाला और मौसम की चाल को बदलने वाला सिद्ध हो सकता है। ऐसा माना जाता है कि इसका खास प्रभाव ओड़ीसा, कर्नाटक, पंजाब, उत्तर प्रदेश में इसका असर देखने को मिलेगा। यह भी माना जा रहा है कि इसका प्रभाव समुद्र और समुद्र क्षेत्री देशों पर ज्यादा रहेगा। समुद्र में तूफान या भीतर कहीं भूकंप आने की आशंका मानी जा सकती है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

ईद-उल फितर कैसे मनाते हैं?