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सर एलेक्स बनाम मैनचेस्टर यूनाइटेड की जीत

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हमें फॉलो करें एलेक्स फर्ग्यूसन मैनचेस्टर यूनाइटेड
वीरेन्द्र ओंकार , रविवार, 3 जून 2007 (16:28 IST)
मैनचेस्टर यूनाइटेड ने इंग्लिश प्रीमियर चैंपियनशिप (फुटबॉल) जीत ली। एमयू की इस इस जीत के सूत्रधार सर एलेक्स फर्ग्यूसन ने उन सबको गलत साबित कर दिया, जो एमयू की जीत के प्रति आशान्वित नहीं थे। इस बार सर एलेक्स के वे 21 वर्ष दाँव पर लगे थे, जो उन्होंने 'एमयू' को सँवारने में लगाए थे।

उन्होंने एक ऐसी 'फिट' टीम तैयार की थी, जो अपनी प्रतिद्वंद्वी 'चेल्सा' को मात देने में सक्षम थी। दरअसल 'सर' को एक ऐसी टीम की जरूरत थी, जो अपने प्रतिद्वंद्वियों को मायूसी के चरम तक पहुँचा सके। इस कठिन पर नामुमकिन नहीं, काम को उनकी अनुभवी एवं पारखी नजरों ने संभव बना दिया।

* चेल्सा से बेहतर प्रदर्शन करने के लिए मैनचेस्टर यूनाइटेड ने अपने घरेलू मैदान पर, अपना बचाव कैसे करना चाहिए सीख लिया था। सर एलेक्स ने कुछ ऐसे डिफेंडर्स तैयार किए थे, जिन्हें भेद पाना अत्यंत कठिन था।

2005 के बाद एडविन वॉन डर सार नए गोलकीपर के रूप में, नेमांजा विडिक नए सेंटर हाफ तथा पैट्रिस एवेरा नए लेफ्ट बैक के रूप में विरोधियों के लिए एक चुनौती थे।

टीम धीरे-धीरे अपने लक्ष्य की ओर बढ़ती गई। प्रतिपक्षियों से अधिक कलात्मक खेल व तेज गति मैनचेस्टर यूनाइटेड के पास थी। तो अपनी खेल शैली से दर्शकों को मुग्ध कर देने वाली टीम आखिर पिछड़ती कैसे?

* सर एलेक्स को बेहतर खेल की अपेक्षा थी क्रिस्टियानो रोनाल्डो से : अपनी चोट से उबरे वेन रूनी से भी उन्हें बहुत आशा थी। पूरी चैंपियनशिप में सर एलेक्स अपने अनुभवी खिलाड़ियों के खेल से अचंभित थे। 32 वर्षीय पॉल स्कोल्स, जो पिछले फुटबॉल सत्र में आँख की समस्या के कारण टीम से बाहर हो गए थे, पुनः टीम में लौटे और वर्तमान सत्र के 36 में से 29 मैचों में स्कोल्स ने 'एमयू' का प्रतिनिधित्व किया।

इसी तरह 33 वर्षीय रॉयन गिग्स पर भी सर एलेक्स ने भरोसा जताया, क्योंकि अभी भी घास पर दौड़ने में एक विंगर में जो गति होनी चाहिए थी वह गिग्स में थी। सर एलेक्स ने 4-3-2-1 के फार्मेशन का उपयोग किया, क्योंकि वे चाहते थे कि 'एमयू' के तेज और खतरनाक खिलाड़ी मिड फील्ड से तेजी से आगे बढ़ने में कामयाब हों। रूनी, रोनाल्डो, स्कोल्स एवं गिग्स ऐसे ही भरोसेमंद खिलाड़ी रहे।

मैचों में कोई एक सेंटर फारवर्ड नहीं था, बल्कि ये चारों खिलाड़ी परिस्थिति के अनुसार सेंटर फारवर्ड की पोजीशन सम्हाल लेते थे। सर एलेक्स की इस टीम ने मैदान के हर एंगल से गोल किया, अपनी प्रतिष्ठा के अनुरूप उम्दा खेल दिखाया और खिताब हासिल कर लिया। इसके पीछे छुपी हुई थी सर एलेक्स फर्ग्यूसन की दृढ़ इच्छाशक्ति।

* उन्होंने 1999 की चैंपियंस लीग के फाइनल का वीडियो तक नहीं देखा। यह मैच उनके कॅरियर का सर्वश्रेष्ठ मैच था। क्योंकि वे नहीं चाहते थे अपने मुख्य उद्देश्य से अपना ध्यान भटकाना और वह उद्देश्य था चेल्सा से ट्रॉफी छीनना और मैनचेस्टर यूनाइटेड के इस 65 वर्षीय बुजुर्ग मैनेजर ने वह कर दिखाया।

* सर एलेक्स फर्ग्यूसन 1986 में बने थे 'एमयू' के मैनेजर, तब वे 45 वर्ष के थे और पिछले दो दशक से उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1967 के बाद उनके मैनेजर रहते हुए 'एमयू' ने 1993 में पहली बार एफए कार्लिंग प्रीमियर चैंपियनशिप जीती और तब से 'एमयू' के ताज में एक के बाद एक चमकीले नग लगते चले गए।

2004 की चैंपियंस लीग के समय उन्होंने अपने उन विरोधियों का मुँह बंद करने में कामयाबी प्राप्त की, जो कुछ अरसा पहले एलेक्स के फुटबॉल कॅरियर को खत्म मान रहे थे।

जब-जब भी ये अटकलें लगाई गईं कि इस बार तो सर एलेक्स को 'एमयू' से बाहर होना पड़ेगा तब-तब टीम ने उम्दा प्रदर्शन करते हुए ऐसी आलोचनाओं का मुँहतोड़ जवाब दिया। विशेष रूप से सर एलेक्स ने टीम के कप्तान रॉय कीन को बाहर बैठाया तथा रूड वॉन निसलरूय को साइड लाइन किया, तो सभी ने यह सोचा कि 65 वर्षीय मैनेजर (सर एलेक्स) का यह निर्णय उनके फुटबॉल कॅरियर को ले डूबेगा।

सर एलेक्स के मन में और ही कुछ था, उनका सोच था कि गोल एरिया में अधिक से अधिक खिलाड़ी होना चाहिए ताकि अधिक से अधिक अवसरों को भुनाया जा सके। इस जुएँ में सर को जल्दी ही कामयाबी भी मिली, जब क्रिस ईगल्स ने 'एवर्टन' के खिलाफ 4-2 की जीत दिलाई।

अपने 36 मैचों में इन 'रेड डेविल्स' (लाल रंग की जर्सी वाले एमयू के खिलाड़ी) ने 83 गोल दागे। इसमें जहाँ क्रिस्टियानो रोनाल्डो, वेन रूनी की चपलता शामिल थी, वहीं रॉयन गिग्स व पॉल स्कोल्स की अनुभवी सूझबूझ भी थी। खिलाड़ी की उपयोगिता को समझने में 'सर' लाजवाब हैं।

इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मात्र एक वर्ष पूर्व इंग्लिश फुटबॉल में पदार्पण करने वाले नेमांजा विडिक और पैट्रिस एवेरा 'एमयू' के प्रमुख स्तंभ साबित हुए। अपने संपूर्ण कॅरियर में वर्तमान सत्र में सर एलेक्स अत्यंत सहज रहे। वैसे प्रतिद्वंद्वी टीम मैनेजरों से उनका शीतयुद्ध किसी से छुपा नहीं है। फिर चाहे वे 'चेल्सा' के मोरिन्हो ही क्यों न हों।

'एमयू' नौवीं बार विजेता बनी है और सर एलेक्स को टीम पर अटूट विश्वास है। वे अगले सत्र में अच्छे प्रदर्शन की सोच के साथ कुछ आराम के बाद शीघ्र ही सक्रिय हो जाएँगे। ऐसे हैं सर एलेक्स और ऐसी है इंग्लिश प्रीमियर चैंपियनशिप जीतने वाली उनकी 'मैनचेस्टर यूनाइटेड।'

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